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Up kiran,Digital Desk : उत्तर प्रदेश के बरेली से एक ऐसा मामला सामने आया है जो हर सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवा के लिए एक सबक है। हम अक्सर देखते हैं कि नौकरी की तड़प में युवा कैसे ठगों के जाल में फंस जाते हैं। मोहल्ला कच्चा कटरा के रहने वाले सचिन प्रजापति के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उसे भारतीय सेना (Indian Army) में भर्ती कराने का सपना दिखाया गया और बदले में उससे 9 लाख रुपये ठग लिए गए।

ठगों की चालाकी देखिए—विश्वास जीतने के लिए उन्होंने उसे कोलकाता बुलाया और वहां के आर्मी अस्पताल में बाकायदा उसका 'फर्जी मेडिकल टेस्ट' भी करवा दिया। जब युवक को ठगी का एहसास हुआ, तो उसने पुलिस की शरण ली। एसएसपी के आदेश पर अब तीन आरोपियों के खिलाफ आंवला थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।

दोस्ती की आड़ में बिछाया जाल

पुलिस के मुताबिक, पीड़ित सचिन प्रजापति सेना में भर्ती होने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा था। करीब एक साल पहले उसकी मुलाकात भमोरा के रहने वाले सचिन यादव से हुई। नाम एक जैसे थे और धीरे-धीरे जान-पहचान हो गई।

एक दिन सचिन यादव ने उसे एक लालच दिया। उसने कहा, "मेरी पहचान एक फौजी से है। मेरा एक दोस्त धर्मेंद्र यादव है, उसके जीजा आर्मी में बड़े पद पर हैं। वो तुम्हारी नौकरी पक्की करवा देंगे।" सचिन इस झांसे में आ गया और उसने धर्मेंद्र यादव से मुलाकात कर ली।

कोलकाता में हुई 'फिल्मी' सेटिंग

आरोपियों ने सचिन को बताया कि सेटिंग कोलकाता से होगी। सौदा तय हुआ 9 लाख रुपये में। पीड़ित ने जुलाई 2024 में पैसे दे दिए। इसके बाद शुरू हुआ धोखे का असली खेल।

  1. व्हट्सएप पर मंगवाए कागज: धर्मेंद्र ने भरोसा जीतने के लिए व्हट्सएप पर उसके सारे दस्तावेज मंगवा लिए।
  2. फौजी की वर्दी में मिला ठग: सचिन को कोलकाता बुलाया गया। वहां धर्मेंद्र ने उसे विजय सिंह नाम के एक शख्स से मिलवाया। विजय सिंह बकायदा सेना की वर्दी पहने हुए था और उसने खुद को धर्मेंद्र का बहनोई बताया। वर्दी देखकर सचिन का भरोसा पक्का हो गया।
  3. आर्मी हॉस्पिटल में मेडिकल: हद तो तब हो गई जब ये ठग उसे कोलकाता के एक आर्मी अस्पताल में ले गए और वहां उसका मेडिकल टेस्ट भी करवा दिया। किसी को शक ही नहीं हुआ कि यह सब ड्रामा है।

नकली वेरिफिकेशन और असली झटका

घर लौटने के कुछ दिन बाद सचिन के पास 'पुलिस वेरिफिकेशन' के कागज भी आ गए। उसे लगा नौकरी पक्की हो गई है। लेकिन जब ज्वॉइनिंग नहीं हुई और वह दोबारा कोलकाता गया, तो वहां जाकर पता चला कि उसके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। न कोई भर्ती थी और न ही कोई विजय सिंह असली फौजी था।

सचिन ने आरोपियों को कुल 4 लाख रुपये बैंक खाते में और 5 लाख रुपये नकद दिए थे। जब उसने अपने पैसे वापस मांगे, तो ठगों ने उसे जान से मारने की धमकी देनी शुरू कर दी।

पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

थक-हारकर सचिन प्रजापति ने एसएसपी बरेली से गुहार लगाई। एसएसपी के सख्त आदेश के बाद आंवला इंस्पेक्टर कुंवर बहादुर सिंह ने तीनों आरोपियों— सचिन यादव, धर्मेंद्र यादव और विजय सिंह —के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब इन ठगों की तलाश कर रही है।

यह घटना सिखाती है कि सरकारी नौकरी कभी 'जुगाड़' या 'पैसे' से नहीं मिलती, सिर्फ मेहनत और सही प्रक्रिया से मिलती है।