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हाल ही में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बेहद आग्नेय और विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि जब तक ईरान से इजरायल के अस्तित्व को खतरा बना रहेगा, तब तक देश पर किसी भी हमला करने से पीछे नहीं हटेंगे  । उन्होंने इसे 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' बताया, जिसका मकसद ईरान द्वारा समर्थित आतंकवादी ताकतों को पूरी तरह खत्म करना है।

नेतन्याहू ने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को हिटलर की योजनाओं से ही तुलना दी, और कहा कि ईरान बातचीत का बहाना बनाकर परमाणु हथियार हासिल करना चाहता है  । इसके साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि शांति वार्ता सिर्फ बहाना है, असल में इजरायल की रणनीति उसे हर हाल में कमजोर करना है।

सोरोका अस्पताल पर बमबारी को लेकर भी नेतन्याहू ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ईरानियों को खामेनेई जैसे कट्टर नेताओं के खिलाफ कदम उठाना चाहिए और समय आ गया है जब उन पर कार्रवाई हो – "खामेनेई के खात्मे का वक्त आ गया"  । यह बयान मध्य-पूर्व में परिस्थिति को और उथल-पुथल की ओर ले जा सकता है।

ईरान ने भी इस हमले की तीव्र निंदा की है। रविवार को तेहरान केंद्रों पर हमला होने के बाद, खामेनेई ने इसे 'इजरायल के खून से सने हाथों' का काम बताया और कहा कि इजरायल का यह हमला बर्दाश्त नहीं होगा – "अब वह बच नहीं पाएगा"  । उन्होंने इजरायल को चेतावनी देते हुए कहा कि जंग जारी रहेगी, और जवाब देने से पीछे नहीं हटेंगे।

इस पूरी स्थिति ने पश्चिम एशिया में तनाव की लकीर और गहरी कर दी है। 'राइजिंग लायन' ऑपरेशन से क्या शांतिपूर्ण समाधान संभव होगा, यह आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल दोनों देशों के बीच यह बदले का दौर जारी है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ने की आशंका बनी हुई है।

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