Up Kiran, Digital Desk: पूर्वी एशिया के देशों ने आपदाओं से निपटने के अपने तौर-तरीकों में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकल्प लिया है. मलेशिया की अध्यक्षता में कुआलालंपुर में आयोजित 20वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में शामिल देशों ने एक संयुक्त घोषणापत्र को अपनाया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि अब आपदा आने के बाद राहत और बचाव कार्य करने के बजाय, वैज्ञानिक चेतावनियों के आधार पर आपदा आने से पहले ही जमीनी स्तर पर कार्रवाई की जाएगी.
यह फैसला इस क्षेत्र में लगातार बढ़ रही और खतरनाक होती जा रही प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए लिया गया है, जिनके पीछे पर्यावरणीय खतरे, तेजी से होता शहरीकरण और सामाजिक-आर्थिक कमजोरियां बड़े कारण हैं.
क्या है यह नई सोच: स्थानीयकृत अग्रिम कार्रवाई (Localised Anticipatory Action)?
यह एक ऐसी रणनीति है जिसमें आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए पहले से ही तैयारी की जाती है. नेताओं ने माना कि यह तरीका आपदा के नुकसान को कम करने में "अत्यधिक प्रभावी" साबित हुआ है. इस रणनीति के दो मुख्य स्तंभ हैं:
अग्रिम कार्रवाई: इसका मतलब है कि मौसम के पूर्वानुमान और वैज्ञानिक डेटा के आधार पर, आपदा के दस्तक देने से पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना, जरूरी सामान तैयार रखना और बचाव टीमों को तैनात करना.
स्थानीयकरण: इस रणनीति की सफलता का सबसे बड़ा राज इसे स्थानीय स्तर पर लागू करना है. इसमें स्थानीय प्रशासन, आम समुदायों, सामाजिक संगठनों और निजी क्षेत्र को सीधे तौर पर शामिल किया जाता है, क्योंकि वही किसी भी आपदा की स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया देते हैं और उन्हें अपने क्षेत्र की बेहतर समझ होती है.
क्यों पड़ी इस बदलाव की जरूरत?
शिखर सम्मेलन में नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में आपदाओं की संख्या और उनकी तीव्रता काफी बढ़ गई है. पुराने समझौतों, जैसे कि 2009 के चा-आम हुआ हिन और 2014 के EAS घोषणापत्र, ने क्षेत्रीय सहयोग की नींव रखी थी, लेकिन अब एक कदम और आगे बढ़ने का समय है.
इस नई सोच को आसियान समझौते (AADMER) और सेंडाई फ्रेमवर्क फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन 2015-2030 जैसे कई अंतरराष्ट्रीय मंचों का भी समर्थन हासिल है, जो समुदाय-आधारित आपदा प्रबंधन पर जोर देते हैं.
विज्ञान और टेक्नोलॉजी निभाएंगे अहम भूमिका
घोषणापत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया कि इस नई रणनीति को सफल बनाने के लिए विज्ञान और टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए स्थानीय स्तर पर:
आपदा के जोखिम का वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाएगा.
खतरों के सटीक नक्शे (Hazard Maps) तैयार किए जाएंगे.
प्रभाव-आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems) को और मजबूत किया जाएगा.
सभी सदस्य देशों ने आपदा राहत के लिए बने आसियान समन्वय केंद्र (AHA Centre) जैसे संस्थानों के माध्यम से एक-दूसरे के साथ बेस्ट प्रैक्टिस, क्षमता निर्माण और संसाधन साझा करने पर भी अपनी प्रतिबद्धता जताई. यह ऐतिहासिक कदम आपदा प्रबंधन में एक प्रतिक्रियाशील (Reactive) दृष्टिकोण से एक सक्रिय (Proactive) दृष्टिकोण की ओर एक बड़ा बदलाव है, जिससे भविष्य में लाखों जानें और अरबों का नुकसान बचाया जा सकेगा.
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