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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी को लेकर चल रही खबरों और विपक्ष के हमलों के बीच अब दिल्ली सरकार ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि दिल्ली के किसी भी सरकारी अस्पताल में दवाओं की कोई कमी नहीं है और जो भी खबरें चल रही हैं, वे पूरी तरह से बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित हैं.

यह बयान उन रिपोर्ट्स के बाद आया है, जिनमें दावा किया जा रहा था कि दिल्ली के कई बड़े सरकारी अस्पतालों में जरूरी दवाओं का स्टॉक खत्म हो गया है, जिसकी वजह से मरीजों को बाहर से महंगी दवाएं खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

हमारे पास 3-4 महीने का स्टॉक एडवांस में है

स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा, मैं दिल्ली की जनता को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे किसी भी अस्पताल में दवाओं की कोई कमी नहीं है. हमारे पास तीन से चार महीने तक की जरूरी दवाओं का बफर स्टॉक हमेशा मौजूद रहता है.

उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार की एक बहुत ही सुव्यवस्थित प्रणाली है, जिसके तहत दवाओं की खरीद और सप्लाई पर लगातार नजर रखी जाती है. जैसे ही किसी दवा का स्टॉक एक निश्चित स्तर से नीचे आता है, उसे तुरंत खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है.

विपक्ष पर साधा निशाना

सौरभ भारद्वाज ने इस पूरे मामले को विपक्ष की एक सोची-समझी साजिश बताया. उन्होंने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए जनता के बीच झूठ और डर का माहौल बना रहे हैं. वे जानबूझकर ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं ताकि सरकार की छवि को खराब किया जा सके."

उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी को किसी विशेष दवा को लेकर कोई समस्या है, तो वह सीधे अस्पताल प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर सकता है, लेकिन इस तरह की झूठी खबरें फैलाना निंदनीय है.

क्या है जमीनी हकीकत?

हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री के दावों के विपरीत, कुछ जगहों से ऐसी खबरें आती रही हैं जहां मरीजों ने कुछ विशेष दवाओं के उपलब्ध न होने की शिकायत की है. विपक्ष भी इन्हीं शिकायतों को आधार बनाकर सरकार पर हमलावर है. उनका आरोप है कि सरकार जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ रही है और सिर्फ बयानबाजी कर रही है.

इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच, दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उनके यहां दवाओं की उपलब्धता में कोई कमी न आए और मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में यह सियासी तूफान शांत होता है या फिर दवाओं का यह मुद्दा और तूल पकड़ता है.