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Up Kiran, Digital Desk: भारत का इतिहास कई दिलचस्प मोड़ों और अनकही कहानियों से भरा पड़ा है। मुगल साम्राज्य जिसने लगभग दो शताब्दियों तक इस भूमि पर शासन किया उसके उदय और पतन की गाथाएं तो हम सबने सुनी हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा भी दौर था जब एक मुगल सम्राट के जन्म के बाद एक हिन्दू राजा का शासन स्थापित हुआ? यह सुनकर शायद आपको आश्चर्य हो मगर यह सत्य है और इस कहानी में एक हिन्दू राजा ने मुगल बादशाह के परिवार को शरण भी दी थी।

बात उस समय की है जब मुगल सम्राट हुमायूं शेरशाह सूरी से चौसा के युद्ध में बुरी तरह हार गए थे। अपनी जान बचाने के लिए पराजित हुमायूं पश्चिम की ओर भागे जो आज का सिंध प्रांत है। यह एक कठिन और निराशाजनक यात्रा थी जिसमें उन्हें हर पल खतरे का सामना करना पड़ रहा था।

इसी प्रवास के दौरान उनकी मुलाकात हामिदा बानू बेगम नामक एक विदुषी महिला से हुई और उन्होंने उनसे विवाह कर लिया। अभी उनका संघर्ष समाप्त नहीं हुआ था। ऐसे कठिन समय में अमरकोट के हिन्दू शासक राणा प्रसाद (या कुछ इतिहासकारों के अनुसार उनकी पत्नी) ने मानवता का परिचय देते हुए मुगल बादशाह के परिवार को अपने राज्य में सुरक्षित आश्रय प्रदान किया। यह एक ऐसा कार्य था जिसने इतिहास के पन्नों पर हिन्दू-मुस्लिम एकता और सहिष्णुता की एक अनूठी मिसाल कायम की।

और फिर वह ऐतिहासिक क्षण आया। शादी के ठीक एक साल बाद 1542 में राणा प्रसाद के महल में एक पुत्र का जन्म हुआ। यह बालक कोई और नहीं बल्कि आगे चलकर मुगल साम्राज्य का महानतम शासक कहलाया - जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर जिसे दुनिया "अकबर महान" के नाम से जानती है।

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