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उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने कहा कि वायु प्रदूषण देश और दुनिया में सबसे बड़ी चुनौतियों के रूप में उभरा है, जो मानव स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और समग्र पारिस्थितिक संतुलन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश इंडो गंगा के मैदान (प्ळच्) के केंद्र में स्थित है, जो वायु प्रदूषण के लिए एक वैश्विक हॉटस्पॉट है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए जन सहभागिता के माध्यम से अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाये जाये।

डा0 सक्सेना ने यह विचार आज यहां होटल ताज में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन निदेशालय, ऊर्जा और संसाधन संस्थान और स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन के सहयोग द्वारा आयोजित ‘‘शहरी वायु गुणवत्ता के प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम अभ्यास’’ कार्यशाला में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण के प्रति आम व्यक्तिायों में जागरूकता उत्पन्न करना है।  

अपर मुख्य सचिव, वन एवं पर्यावरण मनोज सिंह ने कहा कि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इस तरह की कार्यशाला समय-समय पर आयोजित होनी चाहिए, ताकि आम जनता जागरूक हो सके। उन्होंने कहा कि  स्वच्छ वायु परियोजना के तहत वैज्ञानिक वायु दुष्प्रभावों का आकलन कर इससे होने वाले दुष्परिणामों से मनुष्यों को बचा सकें।
सचिव, पर्यावरण आशीष तिवारी ने कहा कि कार्यशाला में उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र के स्मार्ट सिटी सेल, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगमों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाया जाएगा, इससे यह सुनिश्चित होगा कि उन्हें परियोजना के तहत विभिन्न लाभकारी परिणामों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
कार्यशाला में प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सुधीर शर्मा, डी0जी0 टेरी डा0 विभा धवन, नगर आयुक्त, लखनऊ इन्द्रजीत सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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