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Up kiran,Digital Desk : एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं, जो खुद को दुनिया का 'शांति दूत' बता रहे हैं, और दूसरी तरफ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हैं, जिनका इरादा कुछ और ही इशारा कर रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दोनों नेताओं के बयानों में ज़मीन-आसमान का फर्क दिख रहा है, जिससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या यह जंग वाकई खत्म होने की कगार पर है?

ट्रंप ने क्या दावा किया है?

डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा कि वे दुनिया भर में शांति ला रहे हैं और युद्धों को इतनी तेज़ी से रुकवा रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं हुआ।

एक बयान में उन्होंने कहा, "हम अब तक आठ युद्ध रुकवा चुके हैं। अब हमारी नज़र रूस-यूक्रेन युद्ध पर है और हमें पूरा विश्वास है कि हम इसे भी खत्म करवा देंगे।" उन्होंने मौतों के आंकड़े गिनाते हुए कहा, "हमें इसे रोकना होगा और हम इसके लिए बहुत कड़ी मेहनत कर रहे हैं।"

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उनके प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद पुतिन ने भी युद्ध खत्म करने के संकेत दिए हैं।

लेकिन असली कहानी क्या है?

यह बात सही है कि हाल ही में ट्रंप के खास प्रतिनिधि (जेरेड कुशनर और स्टीव विटकॉफ) मॉस्को गए थे और पुतिन के प्रतिनिधियों से उनकी 5 घंटे तक लंबी बैठक चली थी।

मगर इस बैठक का नतीजा वो नहीं है जो ट्रंप दुनिया को बता रहे हैं।

बैठक खत्म होने के बाद खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने दो टूक कह दिया:

"मॉस्को अपने सुरक्षा हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।"

हालांकि उन्होंने बैठक को "ज़रूरी और काम की बातचीत" माना, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया कि "सहमति बनाना एक बहुत मुश्किल काम है।"

इसका सीधा मतलब यह है कि 5 घंटे की बातचीत के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया और रूस अपनी मांगों पर अडिग है। एक तरफ ट्रंप युद्ध खत्म होने का श्रेय ले रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुतिन का रुख बता रहा है कि शांति की राह अभी भी बहुत लंबी और मुश्किलों भरी है