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Up Kiran, Digital Desk: बीते चंद दिनों में मिडिल ईस्ट की राजनीति फिर से तनावपूर्ण हो उठी है। खासकर सीरिया के पश्चिमी हिस्सों लताकिया और तारतूस के पास इजरायल द्वारा किए गए हवाई हमलों ने क्षेत्रीय सुरक्षा को हिला कर रख दिया है। इस हमले में एक नागरिक की जान गई और कई सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा। आइए जानते हैं इस पूरी स्थिति के पीछे की वजहें और मिडिल ईस्ट के पेचीदा राजनीतिक समीकरण।

इजरायल का हवाई हमला, क्या था मकसद

सीरियाई सरकारी मीडिया के मुताबिक इजरायल के युद्धक विमानों ने जाबलेह के पास जामा गांव के आसपास के इलाकों को निशाना बनाया। इजरायल की सेना का दावा है कि उन्होंने हथियार भंडारण की सुविधाएं और तटीय मिसाइलों को नष्ट किया है जो उनके लिए और अंतरराष्ट्रीय समुद्री नेविगेशन के लिए खतरा थे। साथ ही सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को भी निशाना बनाया गया।

सीरियाई मानवाधिकार संगठनों के अनुसार यह हमला लगभग एक महीने में इजरायल का पहला बड़ा हमला था। इजरायल का कहना है कि ये हमले सीरिया में मौजूद उन हथियारों को रोकने के लिए हैं जिन्हें वे ‘जिहादी’ और दुश्मन मानते हैं।

कब से जारी है संघर्ष

सीरिया और इजरायल 1948 से तकनीकी रूप से युद्ध की स्थिति में हैं। 1967 में हुए छह-दिन के युद्ध के दौरान इजरायल ने गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया था जो तब से एक विवादित क्षेत्र बना हुआ है। वहां से इजरायल ने कई बार सीरिया के विभिन्न हिस्सों पर हमला किया है।

इजरायल का तर्क है कि ये हमले सीरिया की सरकार को कमजोर करने के लिए जरूरी हैं खासकर उन हथियारों को रोकने के लिए जो वे अपने खिलाफ खतरा मानते हैं। वहीं सीरिया और उसके समर्थक इसे क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन मानते हैं।

अमेरिका की यात्रा के बाद अचानक बढ़ा तनाव

इस हमले का समय भी खास है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिडिल ईस्ट की यात्रा की थी और सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल शरा से मुलाकात की थी। ट्रंप ने सीरिया को राहत देने की बात कही थी जिससे उम्मीद थी कि क्षेत्रीय तनाव कम होंगे और इजरायल-सीरिया के रिश्ते बेहतर होंगे।

लेकिन इस हमले ने इन उम्मीदों को तोड़ दिया और साफ कर दिया कि मिडिल ईस्ट में शांति अभी दूर की कौड़ी है।

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