Up Kiran, Digital Desk: रूस के साथ चल रहे भीषण युद्ध के बीच यूक्रेन लगातार अमेरिका से लंबी दूरी तक मार करने वाली 'टोमाहॉक' मिसाइलें मांग रहा है. लेकिन अमेरिका इस घातक हथियार को यूक्रेन को देने में हिचकिचा रहा है. हाल ही में जब यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की, तो यह मुद्दा एक बार फिर उठा. इस मुलाकात के बाद ट्रंप का जो बयान आया है, उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है.
ट्रंप ने क्यों किया इनकार: ज़ेलेंस्की से मुलाकात के बाद जब पत्रकारों ने ट्रंप से टोमाहॉक मिसाइलों के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, "हमारे ऊपर कुछ दायित्व हैं." उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है और वे अपने "दोस्तों" की मदद करना जारी रखेंगे. ट्रंप ने कहा, "लेकिन हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं. इन मिसाइलों को लेकर भी हमारी एक बड़ी जिम्मेदारी है."
ट्रंप ने साफ तौर पर तो नहीं बताया कि वह कौन सी 'जिम्मेदारी' है जो उन्हें रोक रही है, लेकिन उनके बयान से यह स्पष्ट है कि अमेरिका फिलहाल यूक्रेन को ये शक्तिशाली मिसाइलें देने के मूड में नहीं है.
क्या है टोमाहॉक मिसाइल की ताकत: टोमाहॉक एक क्रूज मिसाइल है, जो अपने टारगेट को भेदने में माहिर है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी रेंज, जो करीब 1600 किलोमीटर तक है. इसका मतलब है कि अगर यह मिसाइल यूक्रेन को मिल जाती है, तो वह रूस के काफी अंदर तक हमला कर सकता है. शायद यही वजह है कि अमेरिका को डर है कि इससे युद्ध और भी ज्यादा भड़क सकता है.
यूक्रेन क्यों मांग रहा है ये मिसाइल: यूक्रेन का मानना है कि टोमाहॉक मिसाइलें मिलने से उसे युद्ध में बड़ी बढ़त मिल जाएगी. ज़ेलेंस्की लंबे समय से अमेरिका से इन मिसाइलों की मांग कर रहे हैं ताकि वे रूसी हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे सकें और अपने देश की रक्षा कर सकें. हालांकि, अमेरिका यूक्रेन को सैन्य सहायता देना जारी रखे हुए है, लेकिन टोमाहॉक जैसे हथियारों पर उसने फिलहाल रोक लगा रखी है.
अब देखना यह होगा कि क्या भविष्य में अमेरिका अपनी इस नीति में कोई बदलाव करता है या नहीं.
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