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आजकल मोबाइल फोन हर घर का हिस्सा बन चुका है और छोटे बच्चों के लिए यह एक सामान्य उपकरण बन गया है। पढ़ाई हो या मनोरंजन, बच्चे घंटों तक मोबाइल, टैबलेट या लैपटॉप की स्क्रीन पर लगे रहते हैं। यहां तक कि स्कूल प्रोजेक्ट्स और होमवर्क भी अब डिजिटल माध्यम से ही कराए जा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोबाइल की नीली रोशनी बच्चों की आंखों के लिए कितनी हानिकारक हो सकती है?
लंबे समय तक स्क्रीन देखने की आदत बच्चों की आंखों पर गंभीर असर डाल सकती है और समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में आंखों से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
मोबाइल स्क्रीन से बच्चों की आंखों को होने वाले नुकसान
1. आंखों में तनाव (Eye Strain)
स्क्रीन पर लगातार देखने से आंखों पर दबाव बढ़ता है। इसे मेडिकल भाषा में एस्थेनोपिया कहा जाता है। इससे नजर कमजोर होने लगती है और आंखों में थकान बनी रहती है।
2. आंखों में दर्द और सिरदर्द
स्क्रीन की तेज रोशनी आंखों पर असर डालती है, जिससे बच्चों को आंखों में दर्द, भारीपन और अक्सर सिरदर्द की शिकायत हो सकती है।
3. सूखी आंखें और जलन
स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने के दौरान पलकें झपकाने की दर कम हो जाती है, जिससे आंखों में नमी की कमी हो जाती है। इसका नतीजा होता है सूखी और जलती हुई आंखें, जो बच्चों को बेहद परेशान कर सकती हैं।
बच्चों की आंखों को स्क्रीन से बचाने के उपाय
1. 20-20-20 नियम अपनाएं
हर 20 मिनट पर, बच्चे को स्क्रीन से नजर हटाकर कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज़ को 20 सेकंड तक देखना चाहिए और 20 बार पलकें झपकानी चाहिए। इससे आंखों को आराम मिलता है और सूखापन नहीं होता।
2. स्क्रीन का आकार और दूरी
फोन की छोटी स्क्रीन के बजाय बड़ी स्क्रीन जैसे टीवी या कंप्यूटर का इस्तेमाल कराएं। स्क्रीन और आंखों के बीच की दूरी कम से कम 18 से 24 इंच होनी चाहिए ताकि आंखों पर अधिक दबाव न पड़े।
3. आंखों की नियमित जांच
हर छह महीने में बच्चों की आंखों की जांच करवाएं, खासकर अगर वे स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। आंखों को दिन में दो से तीन बार ठंडे पानी से धोना भी लाभदायक होता है।
4. आंखों की एक्सरसाइज कराएं
बच्चों को आंखों की हल्की-फुल्की कसरतें जैसे ऊपर-नीचे देखना, गोल-गोल घुमाना सिखाएं। इससे आंखों की मांसपेशियां सक्रिय रहती हैं।
5. स्क्रीन टाइम सीमित करें
स्कूल के कार्यों के अलावा बच्चों को फालतू में स्क्रीन पर समय बिताने से रोकें। उनकी दिनचर्या में आउटडोर एक्टिविटी, किताबें पढ़ना और अन्य रचनात्मक गतिविधियों को शामिल करें।
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