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बारिश की अचानक तीव्रता ने बाज़ार और इमारतों को तबाह कर दिया। पानी जैसी लहरें किसी युद्ध के बाद की तरह मंजर छोड़ गईं। बाज़ार की दुकानों की छतें ध्वस्त हो गईं, फर्श मलबे से ढक गए और दीवारें ढह गईं। कभी रौनक वाला यह बाज़ार अब केवल तबाही के निशान छोड़ गया।

बाढ़ का पानी इतनी तेज़ी से छा गया कि लोग साँस तक रोक नहीं पाए। जैसे ही पानी की लहरें आकर दुकानों में घुसीं, घरेलू सामान, उत्पाद, फर्नीचर—सब बह गया। कुछ इमारतें तो इस कदर क्षतिग्रस्त हुईं कि उनमें वापस लौटने का नाम नहीं है। स्थानीय लोग कहते हैं, “कभी ऐसा मंजर नहीं देखा। पहले तो हमें समझ ही नहीं आया कि पानी की लहर इतनी जबरदस्त होगी।”  

घटनास्थल पर प्रशासन की टीमें तुरंत रवाना हुईं। रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया तो पाया गया कि कई लोगों के घर मलबे के नीचे दबे हुए हैं। सड़कों पर भी मलबे और पानी का एक ही दृश्य फैला हुआ है—जहाँ कभी वाहन चलते थे, अब केवल कीचड़ और टूटे-फूटे मलबे पड़े हैं।

स्थानीय अधिकारीयों ने बताया कि बादल फटने और भारी बारिश से यह आपदा आई। कई इलाकों में केवल एक रात में 20–30 सेंटीमीटर बारिश हो गई, जिसने पानी को उफान पर ला दिया। कई दुकानदारों का लाखों रुपये का सामान बर्बाद हुआ। कुछ की दुकानें पूरी तरह नष्ट हो गईं, जिनकी पुनर्निर्माण की स्थिति अभी अनिश्चित है।  

पीड़ित परिवारों की तस्वीरें देखकर हर किसी की आँखें नम हो जाती हैं। एक दुकानदार का कहना है, “जिन्होंने जीवनभर मेहनत कर कमाई की, सब एक ही रात में बह गया।” लोग अपने जीवन और व्यवसाय में आए इस बड़े बदलाव से दुखी नजर आ रहे हैं।

प्रशासन ने कहा है कि प्रभावित इलाकों में प्राथमिक मरम्मत और सफाई कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन असल काम तो बाढ़ की ताकत और मौसम की चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने का है। भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर व्यवस्थाओं की अपील उठ रही है।

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