
Up Kiran, Digital Desk: लो ब्लड शुगर" का नाम सुनते ही हमारे दिमाग़ में सबसे पहले डायबिटीज का ख़याल आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह समस्या उन लोगों को भी हो सकती है, जिन्हें डायबिटीज बिल्कुल नहीं है? जी हाँ, और यह उतना ही ख़तरनाक हो सकता है।
हमारा दिमाग़ ग्लूकोज़ यानी शुगर पर ही चलता है, यह उसका मुख्य ईंधन है। जब शरीर में इसका लेवल अचानक से बहुत कम हो जाता है, तो आपको तेज़ी से चक्कर आना, कंपकंपी छूटना, पसीना आना और दिल की धड़कन का बढ़ जाना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
अगर इस स्थिति को नज़रअंदाज़ किया गया, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। चलिए जानते हैं कि बिना डायबिटीज के भी आपका ब्लड शुगर क्यों कम हो सकता है।
क्यों होता है बिना डायबिटीज के ब्लड शुगर कम?
एशियन हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, डॉ. संदीप खर्ब के अनुसार, बिना डायबिटीज वाले लोगों में लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) के मामले बहुत कम होते हैं, लेकिन इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसके पीछे जीवनशैली से जुड़ी आदतें, कोई अंदरूनी बीमारी या कुछ ख़ास तरह के ट्यूमर भी हो सकते हैं जो हॉर्मोन के काम में दखल देते हैं।
हमारे शरीर में पैंक्रियास (अग्न्याशय) इंसुलिन बनाता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखता है। लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो बिना डायबिटीज वाले लोगों का भी शुगर लेवल अचानक गिर सकता है।
बिना डायबिटीज के लो ब्लड शुगर के 6 आम कारण:
दवाइयाँ (Medications):कभी-कभी ग़लती से किसी दूसरे व्यक्ति की डायबिटीज की दवा खा लेने से या कुछ दूसरी दवाएँ लेने से भी शुगर लेवल अचानक गिर सकता है। उदाहरण के लिए, मलेरिया के इलाज में दी जाने वाली 'क्विनिन' (Quinine) जैसी दवा ब्लड शुगर को कम करने के लिए जानी जाती है। बच्चों और किडनी की बीमारी वाले मरीज़ों पर इसका असर ज़्यादा होता है।
ज़्यादा शराब पीना (Excessive drinking)
ख़ाली पेट शराब पीने से हमारा लिवर शरीर में जमा ग्लूकोज़ को बाहर नहीं निकाल पाता। इसकी वजह से ब्लड शुगर का स्तर ख़तरनाक रूप से नीचे गिर सकता है।
गंभीर बीमारियाँ (Serious illnesses)
लिवर की गंभीर बीमारी (जैसे सिरोसिस, हेपेटाइटिस), किडनी का फ़ेल होना, कोई गंभीर इन्फेक्शन या दिल की बीमारी शरीर के ग्लूकोज़ को नियंत्रित करने की क्षमता को ख़राब कर सकती है। किडनी ठीक से काम न करने पर दवाएं शरीर से बाहर नहीं निकल पातीं, जिससे शुगर अचानक गिर जाता है।
भूखा रहना या ईटिंग डिसऑर्डर (Starvation and eating disorders)
लंबे समय तक भूखे रहने, उपवास करने या 'एनोरेक्सिया नर्वोसा' जैसे ईटिंग डिसऑर्डर होने पर शरीर में जमा ग्लूकोज़ ख़त्म हो सकता है, जिससे बार-बार लो ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है।
.इंसुलिन का ज़रूरत से ज़्यादा बनना (Overproduction of insulin)
यह बहुत ही दुर्लभ है, लेकिन कभी-कभी पैंक्रियास में 'इंसुलिनोमा' (Insulinoma) नाम का एक ट्यूमर बन जाता है। इस वजह से शरीर ज़रूरत से ज़्यादा इंसुलिन बनाने लगता जिससे ब्लड शुगर बहुत ज़्यादा कम हो जाता है। कुछ दूसरे ट्यूमर भी ऐसे पदार्थ बनाते हैं जिनका असर इंसुलिन जैसा ही होता है।
हॉर्मोन की कमी (Hormone deficiencies)
एड्रिनल या पिट्यूटरी ग्रंथियों की बीमारियाँ ग्लूकोज़ मेटाबॉलिज़्म में शामिल हॉर्मोन के स्राव को कम कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, बच्चों में ग्रोथ हॉर्मोन की कमी से उन्हें बार-बार हाइपोग्लाइसीमिया के दौरे पड़ सकते हैं।
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