उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दिशा को लेकर सियासत में जबरदस्त हलचल मची हुई है। CM योगी आदित्यनाथ ने 20–21 जुलाई को दिल्ली में लगातार तीन अहम नेताओं—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और BJP अध्यक्ष JP नड्डा—से मुलाकात की। प्रत्येक मुलाकात लगभग एक घंटे तक चली और इन मुलाकातों से राज्य में जल्द बड़े आदेशित बदलाव की संभावना जग गई है।
मुख्य चर्चा के विषय
प्रदेश अध्यक्ष का चयन: योगी ने स्पष्ट कर दिया कि UP BJP संगठन को किस नेतृत्व में आगे बढ़ाना चाहिए। 2027 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी संगठन को सुदृढ़ करने की रणनीति इसी पर टिकी है।
मंत्रिमंडल में फेरबदल: नए प्रदेश अध्यक्ष के आने के बाद संभव है कि कुछ मंत्रियों को हटाया जाए, वहीं नए चेहरे शामिल किए जाएं; योगी ने अपने विचार शीर्ष नेताओं को सीधे रखें।
विकास परियोजनाओं पर दबाव: जेवर एयरपोर्ट के उद्घाटन, नोएडा फिल्म सिटी व लखनऊ टेक्सटाइल पार्क परियोजनाओं में केंद्रीय सहायता की मांग की गई।
कानून‑व्यवस्था और धर्मांतरण: शाह के साथ बातचीत में इन संवेदनशील मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जिससे यह संकेत मिलता है कि सरकारी रणनीतियों को चुनावी सोच के अनुसार बनाया जा रहा है।
इसके पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की अमित शाह व नड्डा के साथ बैठक ने सोशल मीडिया पर चर्चा को और तेज़ किया।
विश्लेषकों का कहना है कि यूपी फिर से बीजेपी की रणनीतिक प्रयोगशाला बन सकता है क्योंकि लोकसभा 2024 में मिली सीटों की गिरावट ने 2027 चुनाव को और महत्वपूर्ण बना दिया है। OBC और दलित वोटबैंक के बीच पार्टी की पकड़ फिर से मजबूत करने के लिए संगठनात्मक और प्रशासनिक ढाँचे को फिर से तैयार किया जा रहा है।
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