
उत्तर प्रदेश के चांदपुर नागपुर में सोमवार रात कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने न सिर्फ वहां मौजूद लोगों का दिल छू लिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह खबर चर्चा का विषय बन गई। यह अवसर तब आया जब भारत के अभिषिक्त राजपूत और चीन के सियाओ ने पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के साथ विवाह किया - एक ऐसा विवाह जो केवल दो संस्कृतियों का नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों और दो संस्कृतियों का मिलन बन गया।
अंगोला में हुई पहली मुलाकात, पांच साल में बनी गहराई
अभिषेक, जो मूल रूप से यूक्रेन जिले के मोरना गांव से हैं, और सियाओ की पहली मुलाकात आज से करीब पांच साल पहले अफ्रीका देश अंगोला में हुई थी। दोनों एक आईटी कंपनी में थे और जहां से शुरू हुई पहचान ने दोस्ती का रूप ले लिया, जो धीरे-धीरे गहरे प्यार में बदल गया।
सियाओ का अकेला भारत ग्यान विवाह करना मिशाल
चीन के शांक्सी प्रांत के ताइयुआन शहर के निवासी सियाओ अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। हालाँकि साज़िश संबंधी समस्याओं के कारण उनके माता-पिता की शादी शरीक में नहीं हो सकी, लेकिन सियाओ ने अकेले भारत में अपने रिश्ते को सम्मान और संस्कार के साथ स्वीकार किया, जो न सिर्फ रोमांच है बल्कि प्रेरणा भी है।
प्रथम न्यायालय प्रारंभिक, फिर भारतीय रीति से विवाह
दोनों पहले 25 सितंबर 2024 को चीन की अदालत में सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन अभिषेक की ख्वाहिश के मुताबिक वह अपने स्वर्गवास के अंत में, अपनी दोस्ती के साथ भी शादी करेंगे। सियाओ ने इस बात को न केवल स्वीकार किया बल्कि पूरे उत्साह से भी मना किया।
चांदपुर में हुआ भव्य पारंपरिक समारोह
इस सप्ताह चांदपुर के पंचवटी बैंकवेट हॉल में उनकी हिंदू रीति-रिवाज से शादी का आयोजन किया गया।
जयमाला से लेकर सप्तपदी और घर तक सभी बारातें विधि से अभिषेक करें।
विवाह के दौरान जब सियाओ ने अग्नि के समसामयिक सात फेरे लिए, तो पूरा महल तालियों और भावनाओं से भर गया।
गृहप्रवेश समारोह भी पूर्ण भारतीय परंपरा के अनुसार बताया गया।
प्रेम ने मांगी हर सीमा
सियाओ और अभिषेक की ये शादी इस का प्रतीक बन गई कि जब बात में सच्चा प्यार होता है तो देश, भाषा, संस्कृति या धर्म जैसा कोई मतलब नहीं रहता।
यह विवाह आज के समय में वैश्विक विविधता और सांस्कृतिक समरसता का सर्वोत्तम उदाहरण बन गया है।
दो भाषाएँ, दो संस्कृतियाँ और दो देश—एक पवित्र बंधन में जुड़ गए।