Up Kiran, Digital Desk: क्रिकेट की दुनिया में अर्श से फर्श पर आना और फिर वापस उठकर खड़ा होना बहुत कम लोगों के नसीब में होता है. हरियाणा की विस्फोटक बल्लेबाज़ शैफाली वर्मा की कहानी कुछ ऐसी ही है. एक समय था जब उन्हें लेडी सहवाग कहा जाता था, लेकिन फिर एक ऐसा दौर आया जब खराब फॉर्म और लगातार आलोचनाओं ने उन्हें टीम से बाहर होने की कगार पर ला खड़ा किया. लोग कहने लगे थे कि अब शैफाली में पहले वाली बात नहीं रही.
लेकिन कहते हैं न, जब आप मेहनत करते हैं और ऊपर वाले पर यकीन रखते हैं, तो किस्मत पलटते देर नहीं लगती. हाल ही में ख़त्म हुए महिला एशिया कप 2025 में शैफाली वर्मा ने न केवल शानदार वापसी की, बल्कि प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी अपने नाम किया. इस जीत के बाद जब उनसे पूछा गया कि यह सब कैसे हुआ, तो उनका जवाब दिल छू लेने वाला था.
यह सब भगवान की योजना थी
शैफाली ने अपनी इस शानदार वापसी का श्रेय किसी और को नहीं, बल्कि भगवान की योजना' को दिया. उन्होंने कहा, यह सब ऊपर वाले की प्लानिंग थी. जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है." उनका यह बयान सिर्फ़ एक लाइन नहीं है, बल्कि यह उस दर्द, संघर्ष और अटूट विश्वास को बयां करता है, जिससे वह पिछले कुछ समय में गुज़री हैं.
कैसा था वो मुश्किल दौर?
महिला प्रीमियर लीग (WPL) में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलते हुए शैफाली का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था. वह रन बनाने के लिए संघर्ष कर रही थीं और उनके शॉट सिलेक्शन पर लगातार सवाल उठ रहे थे. सोशल मीडिया पर उन्हें बुरी तरह ट्रोल किया गया. एक युवा खिलाड़ी के लिए इस तरह के दबाव को झेलना आसान नहीं होता. ऐसा लगने लगा था कि भारत ने एक उभरता हुआ सितारा शायद खो दिया है.
लेकिन शैफाली ने हार नहीं मानी. उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर अपनी कमज़ोरियों पर काम किया, अपनी तकनीक को सुधारा और सबसे ज़रूरी, खुद पर विश्वास बनाए रखा.
एशिया कप में शानदार वापसी
एशिया कप में जब शैफाली मैदान पर उतरीं, तो उनके खेल में एक नई ताज़गी और आत्मविश्वास नज़र आया. उन्होंने न सिर्फ ताबड़तोड़ रन बनाए, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर गेंद से भी कमाल दिखाया. उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 251 रन बनाए और 9 महत्वपूर्ण विकेट भी लिए. उनका यह ऑलराउंड प्रदर्शन भारत को 8वीं बार एशिया कप जिताने में सबसे अहम साबित हुआ.
प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का ख़िताब जीतने के बाद शैफाली ने कहा, मैंने बस अपने बेसिक्स पर ध्यान दिया और खेल का आनंद लिया. मैं बस टीम के लिए अच्छा करना चाहती थी.
शैफाली वर्मा की यह कहानी सिर्फ़ क्रिकेट के मैदान तक सीमित नहीं है. यह हमें सिखाती है कि जब ज़िंदगी में मुश्किल दौर आए, तो घबराना नहीं चाहिए. कभी कभी गिरना, असल में और ऊंची छलांग लगाने की तैयारी होती है. और जैसा शैफाली कहती हैं, शायद यह सब "भगवान की योजना" का ही एक हिस्सा होता है.
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