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Up Kiran , Digital Desk: अक्सर हम सोचते हैं कि एक अकेला क्या कर सकता है। मगर एक कक्षा 9 के छात्र ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो और बात सही हो, तो एक ईमेल भी पूरे सिस्टम को हिला सकता है।

एक छात्र ने जिलाधिकारी (DM) को एक साधारण-सी ईमेल भेजी, जिसमें उसने अपने स्कूल की कुछ परेशानियों का जिक्र किया—बिजली कटने पर पंखे न चलना, जेनरेटर शुल्क का कोई फायदा न मिलना, और छुट्टी के निर्धारित समय से ज्यादा देर तक कक्षाएं चलना। मगर इस ईमेल ने जो असर डाला, वह किसी कहानी से कम नहीं था।

शिकायत की सच्चाई: भीषण गर्मी में देर तक रोककर पढ़ाया जाता है

छात्र की शिकायत बिल्कुल साधारण और जायज़ थी। उसने लिखा कि फीस में जेनरेटर चार्ज लिया जाता है, मगर बिजली जाने पर क्लासरूम में पंखे बंद हो जाते हैं। छुट्टी का समय साढ़े 12 बजे है, मगर छात्रों को दोपहर 2 बजे तक रोका जाता है, वो भी तपती गर्मी में।

इतनी सी बात थी मगर हर छात्र ने कभी न कभी यह अनुभव किया होगा और चुपचाप सहा होगा। इस छात्र ने चुप नहीं रहकर सही समय पर सही प्लेटफॉर्म चुना—जिलाधिकारी का ईमेल।

डीएम की त्वरित कार्रवाई: बिना देरी, बिना दिखावे

इस मेल के कुछ ही घंटों के भीतर डीएम खुद स्कूल पहुंच गए। न कोई प्रेस नोटिस, न कोई दिखावा, बस चुपचाप जाकर स्कूल का हाल देखा।

प्रधानाचार्या और प्रबंधक से मुलाकात की गई

30 मिनट तक स्कूल में रुके और व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया। पंखे चालू करवाने और समय से छुट्टी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

सबसे खास बात ये रही कि उन्होंने छात्र की पहचान उजागर नहीं की, जिससे छात्र को किसी भी तरह की असुविधा या प्रतिशोध का डर न रहे। यही एक संवेदनशील अधिकारी की पहचान होती है।

 

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