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बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का जन्म 1996 में छतरपुर जिले में हुआ था। पिता रामकृपाल गर्ग और मां सरोज के तीन बच्चे हैं। धीरेंद्र शास्त्री का एक छोटा भाई राम गर्ग और एक बहन रीता गर्ग है। इनका नाम धीरेंद्र गर्ग है। लेकिन, उनकी मां उन्हें प्यार से धीरू बुलाती हैं।

धीरेंद्र गर्ग की प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी की पढ़ाई पास के एक गांव से पूरी की। धीरेंद्र का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उनके पिता एक पुजारी के रूप में काम करते थे। परिवार के चाचा के साथ पुजारी की नौकरी छिन जाने के बाद धीरेंद्र गर्ग के परिवार ने खुद को आर्थिक संकट में पाया। इस दौरान उसकी मां भैंस का दूध बेचकर परिवार का भरण पोषण करती थी।

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इसी बीच धीरेंद्र गर्ग बड़ा हुआ और गांव के लोगों को कहानियां सुनाने लगा। ऐसा करते हुए उन्होंने 2009 में अपने पास के गांव में अपनी पहली भागवत कथा सुनाई। इसके बाद 2016 में उन्होंने ग्रामीणों की मदद से अपने गांव के सबसे पुराने ज्योतिर्लिंग मंदिर में यज्ञ का आयोजन किया। इस मंदिर में महाराजा की मूर्ति स्थापित होने के कारण इस स्थान को बागेश्वर धाम के नाम से जाना जाने लगा।

श्री बालाजी महाराज के इस मंदिर के पीछे धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादा सेतुलाल गर्ग सन्यासी बाबा की समाधि है। जब धीरेंद्र शास्त्री ने यहां वर्णन करना शुरू किया तो लोग इस बागेश्वर मंदिर को बागेश्वर धाम कहने लगे। आज यहां हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं।

स्व-परीक्षा

दावा किया जाता है कि दुनिया भर से लोग धीरेंद्र शास्त्री के बागेश्वर धाम में अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं। धीरेंद्र शास्त्री इस अदालत में आने वाले लोगों के विचारों को एक कागज के टुकड़े पर पहले ही लिख लेते हैं, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है।

बागेश्वर धाम के महाराज की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि अब वह अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। महाराज अपनी कहानियों और कथनों में बुन्देली की भाषा का प्रयोग करते हैं।

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