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Up Kiran, Digital Desk: जब आम भारतीय यह सवाल उठाते हैं कि अमेरिका बार-बार पाकिस्तान का समर्थन क्यों करता है, तो वह केवल भारत-पाक संबंधों या कूटनीतिक संतुलन की बात नहीं कर रहे होते बल्कि वे वैश्विक महाशक्ति की प्राथमिकताओं और उसकी रणनीतिक सोच को समझना चाहते हैं। अमेरिका की विदेश नीति भावनाओं पर नहीं, बल्कि शुद्ध हितों पर आधारित होती है। यही वजह है कि वह अक्सर ऐसे देशों के साथ गठजोड़ करता है जो उसके भू-राजनीतिक खेल में काम आ सकें पाकिस्तान उन्हीं में से एक है।

सिर्फ दोस्ती नहीं, ज़रूरत की साझेदारी

पाकिस्तान और अमेरिका का रिश्ता कोई परंपरागत दोस्ती नहीं है, बल्कि यह दोनों के ‘काम के पड़ोसी’ जैसे रिश्ते पर टिका है। जब अमेरिका को अफगानिस्तान में सैन्य अभियान चलाना था, तो उसे एक ऐसे देश की ज़रूरत थी जो उसे लॉजिस्टिक सपोर्ट दे सके—हवाई पट्टी, आपूर्ति मार्ग और खुफिया सहयोग। पाकिस्तान ने वह भूमिका बखूबी निभाई और बदले में अरबों डॉलर की सहायता, सैन्य उपकरण और राजनीतिक समर्थन हासिल किया।

9/11 के बाद के दौर में पाकिस्तान अमेरिका का प्रवेश द्वार बन गया। उसे समर्थन मिला न कि किसी साझा मूल्य के आधार पर, बल्कि रणनीतिक ज़रूरत के तहत।

अमेरिका की सहायता: रणनीति की नई शक्ल

हाल के वर्षों में अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों की प्रकृति में थोड़ा बदलाव आया है। सैन्य सहायता की बजाय अब मानवीय और आर्थिक सहयोग बढ़ा है। उदाहरण के लिए, 2022 की बाढ़ के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को $100 मिलियन की मानवीय सहायता दी। वहीं, F-16 विमानों की देखरेख के लिए भी करीब $450 मिलियन का पैकेज दिया गया, ताकि पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी क्षमता बनी रहे।

इसके अलावा, शिक्षा, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसी परियोजनाओं में भी अमेरिका ने बजट आवंटित किया है। कोविड काल में तो अमेरिका ने पाकिस्तान को लाखों वैक्सीन डोज़ भी भेजी थीं।

‘लोकतंत्र’ नहीं, ‘लाभ’ प्राथमिकता

पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थिति कितनी भी डगमगाई हो, अमेरिका का फोकस उस पर नहीं, बल्कि वहां के परमाणु हथियारों की सुरक्षा और अपनी उपस्थिति बनाए रखने पर रहा है। पाकिस्तान एक ऐसा परमाणु संपन्न देश है जहां अगर अस्थिरता फैले तो वह वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। ऐसे में अमेरिका के लिए जरूरी है कि वहां की स्थिति काबू में बनी रहे—और इसके लिए जरूरी मदद मिलती रहे।

भारत को लेकर अमेरिका की सोच भिन्न क्यों है?

भारत वैश्विक मंच पर एक उभरती शक्ति है और अमेरिका के लिए एक अहम साझेदार भी, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान को दी जा रही सहायता भारत में कई बार सवालों का कारण बनती है। दरअसल, अमेरिका की रणनीति यह नहीं है कि वह भारत विरोधी है, बल्कि यह है कि वह पाकिस्तान को दक्षिण एशिया में अपनी रणनीतिक मौजूदगी का उपकरण मानता है। भारत के साथ उसके रिश्ते ‘साझे मूल्यों’ पर हैं, जबकि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते ‘जमीनी जरूरतों’ पर आधारित हैं।

पाकिस्तान की भूमिका: एक भू-राजनीतिक ठिकाना

दक्षिण एशिया सिर्फ दो पड़ोसी देशों का इलाका नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शक्ति संतुलन का केंद्र है—जहां चीन, रूस और अमेरिका जैसे देशों की निगाहें टिकी हैं। पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति, उसकी सेना का राजनीतिक दखल और खुफिया नेटवर्क उसे अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण मोहरा बनाते हैं। और यह भूमिका आज भी कायम है, भले ही स्वरूप बदल गया हो।

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