जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के गौरव, आईएनएस विक्रांत के डेक पर चल रहे थे, तो शायद बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि उनके पैरों के ठीक नीचे एक ऐसी विनाशकारी शक्ति छिपी थी, जो 100 किलोमीटर दूर से ही दुश्मन को तबाह कर सकती है. यह कोई साधारण जगह नहीं थी, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति का एक जीता-जागता सबूत था.
पीएम मोदी के पैरों के नीचे छिपा 'ब्रह्मास्त्र'
जिस स्टील के डेक पर प्रधानमंत्री मोदी खड़े थे, उसके ठीक नीचे भारत के सबसे गुप्त रक्षा चमत्कारों में से एक - बराक-8 मिसाइल का वर्टिकल लॉन्च सिस्टम मौजूद है. इस सिस्टम में कुल 32 मिसाइलें तैनात हैं, जो किसी भी हवाई खतरे, चाहे वो लड़ाकू विमान हो, ड्रोन हो या कोई दुश्मन मिसाइल, को 100 किलोमीटर के दायरे में ही कर सकती हैं. यह प्रणाली आईएनएस विक्रांत को एक अतिरिक्त विध्वंसक (destroyer) जितनी ताकत देती है.
क्या है बराक-8 मिसाइल की ताकत?
"बराक" हिब्रू भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है "बिजली". और यह मिसाइल अपने नाम की तरह ही काम करती है.
रफ्तार: यह 2,500 किलोमीटर प्रति घंटे से भी तेज गति से आसमान में बिजली की तरह कौंधती है.
मार करने की क्षमता: यह 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक किसी भी लक्ष्य को भेद सकती है.
तकनीक: भारत और इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह मिसाइल अपने खुद के रडार से लक्ष्य को ट्रैक करती है और उसे नष्ट कर देती है. बारिश हो या कोहरा, इसका निशाना कभी नहीं चूकता.
क्यों खास है आईएनएस विक्रांतदुनिया के कुछ ही विमानवाहक पोत ऐसे हैं जिनके पास अपना खुद का शक्तिशाली एयर-डिफेंस सिस्टम होता है, और आईएनएस विक्रांत उनमें से एक है. आमतौर पर, ऐसे बड़े जहाजों को सुरक्षा के लिए दूसरे विध्वंसक जहाजों के सहारे की जरूरत पड़ती है. लेकिन बराक-8 सिस्टम की वजह से विक्रांत अपनी और अपने आसपास के जहाजों की सुरक्षा खुद कर सकता है. यह सिर्फ एक विमानवाहक पोत नहीं, बल्कि एक तैरता हुआ किला है.
आईएनएस विक्रांत पर यह शक्तिशाली मिसाइल सिस्टम इस बात का प्रतीक है कि भारत की रक्षा अब अपने ही पैरों पर खड़ी है, और उन पैरों के नीचे दुश्मन के लिए एक खामोश तूफान हमेशा तैयार है.
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