
Up Kiran, Digital Desk: केंद्रीय श्रम सचिव वंदना गुरनानी ने कहा है कि सांख्यिकी और श्रम मंत्रालयों को मिलकर 'पीएम विकसित भारत' जैसी नई योजनाओं के असर का आकलन करना चाहिए. इस योजना का लक्ष्य 2027 तक युवाओं के लिए 3.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करना है.
क्या है पूरी योजना:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के बजट के साथ 'पीएम विकसित भारत' योजना की घोषणा की थी.
अब श्रम मंत्रालय इस बात का अध्ययन कर रहा है कि क्या इस पहल से सच में नौकरियों में बढ़ोतरी होगी. वंदना गुरनानी ने सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम इस पहल के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, कि क्या इससे नौकरियों में वृद्धि होगी."
इसके अलावा, श्रम मंत्रालय 'प्रयास' पहल के रोज़गार पर पड़ने वाले असर का भी अध्ययन कर रहा है. 'प्रयास' पहल सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता को ट्रैक करती है.
डेटा को बेहतर तरीके से समझने पर ज़ोर
गुरनानी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हमें अलग-अलग स्रोतों से मिले डेटा को मिलाकर देखना चाहिए, ताकि एक साफ़ और सटीक तस्वीर मिल सके. उन्होंने कहा कि सर्वे के डेटा को EPFO और ESIC जैसे सामाजिक सुरक्षा योगदानों के प्रशासनिक डेटा के साथ मिलाकर विश्लेषण करना ज़रूरी है, क्योंकि यह डेटा रियल-टाइम में उपलब्ध होता है. इससे हमें योजनाओं के असर को समझने में और ज़्यादा मदद मिलेगी.