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विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाता है। WHO ने मलेरिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2007 में इस दिन की घोषणा की थी। यह एक संक्रमित मादा एनोफिलीन मच्छर के काटने से फैलने वाला संक्रामक रोग है। इस रोग से पीड़ित रोगियों में रक्त में प्लेटलेट्स की भारी कमी के कारण कमजोरी, बुखार और मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है।

बीमारी ठीक न हो तो इसका असर लीवर और किडनी पर भी पड़ता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मलेरिया के मरीजों को डाइट में क्या शामिल करना चाहिए. ताकि आप इस बीमारी से जल्दी ठीक हो सकें।

प्रोटीन युक्त आहार लें

मलेरिया बुखार से शरीर को बहुत नुकसान होता है। इस रोग में मांसपेशियां भी कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में शरीर को विटामिन और मिनरल्स की जरूरत होती है। मलेरिया से जल्दी ठीक होने के लिए प्रोटीन का सेवन बहुत जरूरी है। रोगी के आहार में दाल, दूध, मूंग की दाल, चने और अंडे शामिल होने चाहिए, इसके अलावा दालें, मेवे, हरी सब्जियां भी खाई जा सकती हैं।

हाइड्रेटेड रहना

मलेरिया से जल्दी ठीक होने के लिए खुद को हाइड्रेटेड रखें। इसके लिए खूब पानी पिएं। आप अपने आहार में नारियल पानी, नींबू पानी और फलों को शामिल कर सकते हैं जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है। खीरे, संतरे की तरह, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे आप तेजी से ठीक हो जाते हैं।

खट्टे फल खायें

मलेरिया के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें खट्टे फल खिलाए जाने चाहिए। इसके लिए नींबू, संतरा, अंगूर आदि को डाइट में शामिल किया जा सकता है। ये फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं जो आपके शरीर को डिटॉक्स करता है। यह बीमारी से लड़ने में मदद करता है,

कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ खाएं

मलेरिया के मरीज को घर का बना खाना खाने दिया जाए तो बेहतर है। ऐसे में दलिया, खिचड़ी या उबले हुए नर्म चावल आदि दिए जा सकते हैं।

अपने आहार में सूखे मेवों को शामिल करें

मलेरिया रोगियों के आहार में फाइटोन्यूट्रिएंट्स को अधिक शामिल करने की आवश्यकता है, जो संक्रमण के जोखिम को कम करने में सहायक होते हैं। इसके लिए ड्राई फ्रूट्स या बीजों को डाइट में शामिल किया जा सकता है। क्‍योंकि इसमें प्रोटीन और हेल्‍दी फैट भी होता है।

मलेरिया के रोगी को क्या नहीं खाना चाहिए

मलेरिया के रोगियों को तली हुई चीजें खाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे मतली, उल्टी और गैस्ट्रिक की समस्या हो सकती है। सीलबंद प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से भी हर कीमत पर बचना चाहिए। रोगी को घर का बना खाना ही देना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि रोगी का भोजन अधिक तैलीय या मसालेदार न हो।

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