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Up Kiran, Digital Desk: जब एक औरत से उसका सम्मान छीना जाए और फिर इंसाफ मांगने पर उसे उसकी हैसियत याद दिलाई जाए—तो यह सिर्फ अपराध नहीं समाज की चुप्पी का भी अपराध है। बिहार के गोपालगंज से आई ये घटना न सिर्फ एक महिला की आपबीती है बल्कि सिस्टम के उस चेहरे की पहचान भी है जो पीड़िता को अपराधी बना देता है।

एक सुबह एक डर और टूटा विश्वास

मिश्र बतरहा गांव की रिंकी देवी एक विधवा महिला हैं। पति की मौत के बाद वह अकेले अपने बेटे के साथ जीवन चला रही हैं। कभी आर्केस्ट्रा में काम करके तो अब दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा कर वह रोज़ी रोटी कमाती हैं। मंगलवार की सुबह जब वह गांव में टहल रही थीं तो गांव के ही युवक शशि ने उनका पीछा किया और फिर जंगल की ओर खींचकर कपड़े फाड़ दिए।

उनकी चीख सुनकर गांव के लोग पहुंचे और किसी तरह उन्हें कपड़े दिए गए। लेकिन उस समय उनका आत्म-सम्मान ज़मीन में कहीं दब चुका था।

थाने में मिला ताना न इंसाफ

घटना के बाद जब रिंकी देवी थाने गईं तो उम्मीद थी कि पुलिस उनकी बात सुनेगी केस दर्ज होगा और आरोपी को पकड़ा जाएगा। लेकिन हुआ ठीक उल्टा। पुलिस ने कहा कि तुम आर्केस्ट्रा वाली हो। तुम जैसे लोग पैसों के लिए लड़कों को फंसाते हो। हम एफआईआर नहीं लिखेंगे।

जब पुलिस नहीं बनी ढाल तो पीड़िता पहुंची SP ऑफिस

श्रीपुर थाने से निराश होकर रिंकी देवी मंगलवार को सीधे गोपालगंज एसपी अवधेश दीक्षित के कार्यालय पहुंच गईं। वहां उन्होंने एक लिखित शिकायत दी और पूरी आपबीती सुनाई। उन्होंने साफ कहा कि आरोपी युवक शशि पहले से ही उन्हें परेशान करता था लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की क्योंकि उन्हें यकीन था कि सब ठीक रहेगा। लेकिन जब वह शारीरिक हमले का शिकार हुईं तो चुप रहना उनके लिए मुमकिन नहीं रहा।

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