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बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़मान के बीच बढ़ती तनातनी देश की राजनीति में नए मोड़ की ओर इशारा कर रही है। यूनुस, जो नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं, अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद सत्ता में आए थे। अब वे इस्तीफे की धमकी दे रहे हैं, जबकि सेना चुनावों की तिथि को लेकर दबाव बना रही है।
सेना और यूनुस के बीच टकराव के मुख्य कारण:
1. चुनाव की तिथि पर असहमति: जनरल वाकर-उज़-ज़मान दिसंबर 2025 में चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं, जबकि यूनुस ने इसे 2026 तक स्थगित करने का संकेत दिया है। इससे दोनों के बीच मतभेद गहरे हो गए हैं।
2. म्यांमार के लिए मानवीय गलियारे का विवाद: यूनुस ने म्यांमार के लिए एक मानवीय गलियारे की योजना बनाई, जिसे सेना ने सख्त विरोध किया। सेना का कहना है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
3. संविधानिक सुधारों में देरी: यूनुस ने न्यायपालिका, पुलिस और वित्तीय संस्थानों में सुधारों का वादा किया था, लेकिन इनमें प्रगति धीमी रही है, जिससे राजनीतिक असंतोष बढ़ा है।
क्या बांग्लादेश में मुनीर 2.0 की तैयारी हो रही है?
जनरल वाकर-उज़-ज़मान ने सेना की भूमिका को राजनीति से अलग रखने की बात की है, लेकिन उनकी बढ़ती सक्रियता और यूनुस के इस्तीफे की धमकी से यह सवाल उठता है कि क्या सेना सत्ता में और अधिक हस्तक्षेप करने की योजना बना रही है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सेना एक मजबूत नेतृत्व की ओर बढ़ रही है, जो मुनीर 2.0 के रूप में देखा जा सकता है।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश की राजनीति में यह टकराव न केवल सैन्य और नागरिक प्रशासन के बीच शक्ति संघर्ष को दर्शाता है, बल्कि यह देश के लोकतांत्रिक भविष्य पर भी सवाल उठाता है। यदि यूनुस इस्तीफा देते हैं और सेना सत्ता में आती है, तो यह बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा परिवर्तन होगा।
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