उत्तर प्रदेश॥ जहां चाह है, वहां राह है,इन पंक्तियों को साकार करने में ,विपरीत भौगोलिक परिवेश में होने के वावजूद बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में बलरामपुर ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पुटसुरा के अग्रणी कृषक के रूप में अपनी पहचान हासिल करने वाले मसीदास किस्पोट्टा नक्सल गतिविधियों से अपने -आप को अलग हल थामकर बदलाव के साझी बनकर उभरे हैं।
खुद मसीहदास बताते हैं की कभी हाथों में बंदूक थामने के बाद वापस सामाजिक परिवेश में आने के बाद परिवार का दशकों पुराना पेशा कृषि कार्यों को अपनाने के बाद हाथों में हल लेकर मेहनत व लगन से धान व मक्के की खेती कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
इसी दरम्यान कृषि विभाग द्वारा पिछड़ी जनजाति समुदाय के लोगों को चिन्हित कर आत्मा योजना अन्तर्गत अन्य कृषकों के साथ इनकी बाड़ियों में समन्वित कृषि प्रणाली का प्रदर्शन कराने के लिए चयनित किया गया ।जिसमें मसीदास के बाड़ी का करीब 20 डिसमिल क्षेत्र ,कृषि विभाग के मैदानी कर्मचारियों की देख-रेख एवं तकनीकी मार्गदर्शन में, समन्वित कृषि प्रणाली माॅडल मेंं उनके साथ अन्य 74 किसानों के लिए तैयार किया गया। इसी योजना सें कृषक मसीदास उत्साह के साथ जुड़कर समन्वित कृषि प्रणाली के विषय में ना केवल अवगत हुए वरन लगन व मेहनत से कृषि कार्यों को करते हुए बाड़ी में अच्छा उत्पादन हासिल कर रहे हैं ।
उन्होंने बताया कि माॅडल की विशेष बात यह है कि इससे किसान परिवार के लिए सब्जी की आवश्यकताओं की पूर्ति तो होती ही है,इसके अतरिक्त सब्जियां बाजार में भी बेच कर अतरिक्त आय अर्जित हो रही है।मसीदास बताते हैं कि खुद उन्होंने वर्तमान में कुछ समय पहले ही अपनी बाड़ी में बरबटी एवं करेले का रोपण किया।
कुछ ही समय में ही परिवार के लिए सब्जियों की आपूर्ति के साथ -साथ स्थानीय तौर पर बिक्री कर करीब 8 हजार की आय चंद हफ्तों में हासिल किया है।मसीदास जिन्दगी में इस बदलाव से खुश हैं ,उन्होंने राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा है कि किसान को समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाने के अक्सर उनके पास आने वाले किसानों को बताते हैं।
वहीं उक्त संबंध में उप संचालक कृषि अजय अनंत ने बताया कि समन्वित कृषि प्रणाली एक कारगर तकनीक है तथा इसका फायदा किसानो को देखने को मिल रहा हैं। समन्वित कृषि प्रणाली से एक ही स्थान पर मछली, सब्जी एवं धान के उत्पान से लगभग 25 से 30 हजार की आमदनी प्राप्त हो सकती है।