अफगान नागरिक अमेरिका-तालिबान में संघर्ष विराम के बाद लगा रहे ये आस, ऐसी थी ज़िन्दगी

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18 साल से युद्ध की दंश झेल रहा अफ़ग़ानिस्तान को एक बड़ी राहत मिलने वाली है. आपको बता दें कि देश में शनिवार (22 फरवरी) को जारी आंशिक संघर्ष विराम और जल्द ही अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते की बढ़ती संभावना के बीच सालों से युद्ध का दंश झेल रहे अफगान नागरिक अब युद्ध खत्म होने के सपने देश रहे हैं।

वहीं तालिबान, अमेरिका और अफगान सुरक्षा बलों के बीच “हिंसा में कमी” को लेकर बनी सहमति विद्रोहियों और अमेरिका के बीच उस संभावित समझौते के पहले हुई है जिसके बाद अमेरिका अफगानिस्तान से अपने हजारों सैनिकों को वापस बुला सकता है। यह कदम भले ही अनिश्चितताओं से भरा हुआ हो, लेकिन देश के 18 सालों से भी ज्यादा समय से युद्ध झेलने के कारण यह संभावित कदम ऐतिहासिक साबित हो सकता है।

आपको बता दें कि अफगान नागरिक सोशल मीडिया पर शांति की उम्मीदों से भरे संदेश दरी और पश्तो भाषा में पोस्ट कर रहे हैं। इनके संदेशों के साथ जो हैशटैग लगाया जा रहा है उनका हिंदी में अनुवाद होगा, अगर शांति आई तथा जब यहां संघर्षविराम होगा।

एक प्रमुख कवि रमीन मजहर ने कहा, “बीते 15 सालों में लोग राजमार्गों पर सुरक्षित तरीके से सफर नहीं कर पाए हैं। तालिबान ने उन्हें रोका, मारा या अपहरण कर लिया।” मजहर ने कहा कि हिंसा में कमी अगर बरकरार रहती है तो वह नूरीस्तान जाएंगे। यह देश के पूर्वोत्तर का वह प्रांत है जो अब तक पहुंच से दूर था। उन्होंने कहा, “मैं नूरीस्तान जाना चाहता हूं, दौड़ना, हंसना, गाना, नाचना, सीटी बजाना और दही खाना चाहता हूं।”

अब्दुल्ला जाहिद नाम के एक अन्य व्यक्ति ने ट्विटर पर लिखा, “मैंने अपने दोस्तों को बदाकशन ले जाने का वादा किया था…(और) यह वादा तभी पूरा कर पाऊंगा जब यहां संघर्षविराम होगा।” एक अन्य व्यक्ति हमीदुल्ला सतारी ने ट्विटर पर कहा कि अगर शांति आती है तो वह अफगानिस्तान के सुदूरवर्ती गांव जाएंगे और वहां के लोगों का खाना खाएंगे, उनकी हस्तकला सीखेंगे और अपना दुख और उनकी खुशियां भी बांटेंगे। लोगों में यह उत्साह 29 फरवरी को तालिबान और अमेरिका के बीच होने वाले संभावित संघर्षविराम समझौते को लेकर है।

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