लखनऊ। अयोध्या में रामजन्मभूमि को लेकर सुप्रीम कोर्ट से फैसला तो सुना दिया गया है लेकिन वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नाखुश नजर आ रहा है। जी हां आपको बताते चलें की, अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) दिसंबर माह के पहले सप्ताह में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहा है।
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पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड का फैसला कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा। सभी मुस्लिम संगठन पुनर्विचार याचिका दायर करने को लेकर एक राय रखते हैं। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के निर्णय पर कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करना चाहता है, न करे। अगर एक भी पक्षकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में हैं तो भारतीय संविधान उसे पूरा अधिकार देता है।
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वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड खुदमुख्तार इदारा है। वह इलेक्टेड बॉडी है। बोर्ड को अधिकार है कि वह फैसला ले कि उसको पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी है या नहीं। 17 नवंबर, 2019 को लखनऊ में हुई ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कार्यकारिणी की अहम बैठक में अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अनुचित बताते हुए नामंजूर कर दिया गया था। निर्णय लिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष पुनर्विचार याचिका दायर करेगा।
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बोर्ड ने मस्जिद के लिए पांच एकड़ भूमि अन्यत्र लेने से भी यह कहते हुए इन्कार कर दिया था कि यह शरीयत के खिलाफ है। बोर्ड में पचास सदस्य हैं, जिसमें लगभग 35 सदस्यों के अतिरिक्त विशेष आमंत्रित मुस्लिम नेता भी उस बैठक में शामिल हुए थे। करीब तीन घंटे तक चली बैठक में उच्चतम न्यायालय के फैसले के तमाम बिंदुओं की समीक्षा की गई।http://www.upkiran.org
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