पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के लोकतंत्र समर्थक गठबंधन को अब लोगों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। ये इमरान खान सरकार के लिए किसी संकट से कम नहीं है।
इमरान खान की सरकार को गिराने के लिए बनाए गए गठबंधन ने अब पाकिस्तान की सेना की राजनीति में बढ़ती दखल की चर्चा को आम कर दिया है। राजनीति और अर्थव्यवस्था में पाकिस्तान की सेना की दखलअंदाजी ने तख्तापलट, राजनीतिक इंजीनियरिंग और चुनावी जोड़-तोड़ से पाकिस्तान की व्यवस्था को चौपट कर दिया ।
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जो कि भ्रष्टाचार के आरोप में अपराध साबित होने के बाद से ही यूनाइटेड किंगडम में निर्वासन में जी रहे हैं, वे इमरान सरकार पर तीखा हमलावर रुख अपनाए हुए हैं । उन्होंने सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा और आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद पर आरोप लगाया कि पाकिस्तान के आर्थिक और राजनीतिक ठहराव के लिए यही दोनों लोग जिम्मेदार हैं ।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट की मांगों को 26 सूत्री घोषणा के रूप में रेखांकित किया गया है। इन मांगों में पाकिस्तानी सेना का राजनीति में दखलअंदाजी बंद करना, चुनावी सुधारों के बाद सेना और आईएसआई के हस्तक्षेप से मुक्त स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना होगा। इसके साथ ही राजनीतिक कैदियों की रिहाई, आतंकवाद के खिलाफ नेशनल एक्शन प्लान और नये जवाबदेही कानून के तहत जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।
एक दक्षिणपंथी राजनेता, बुद्धिजीवी और पश्तूनों के हकों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता अफरसीयब खट्टक ने पीडीएम की घोषणा की तुलना राजनीतिक दलों द्वारा 2006 में हस्ताक्षर किए गए चार्टर से की। उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि लोकतंत्र का चार्टर कुछ राजनीतिक दलों की सहमति से बना था लेकिन पीडीएम द्वारा जारी किए गए घोषणा पत्र में लगभग पूरा विपक्ष शामिल है।