ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में कहा गया है कि जब किसी राशि में एक ग्रह को दूसरे ग्रह का साथ मिलता है तो इसे युति कहते हैं। ज्योतिष बता रहे हैं कि ग्रहों के सेनापति मंगल ने 27 जुलाई को मेष राशि में प्रवेश किया था। इस राशि में राहु पहले से ही विराजमान थे। 27 जुलाई को मंगल ग्रह के मेष राशि में गोचर करने से से यहां अंगारक योग बना हुआ है।
मंगल गोचर की वजह से 37 साल बाद मेष राशि में अंगारक योग बना है। ज्योतिषशास्त्र (Astrology) में राहु को पाप ग्रह और मंगल को उग्र ग्रह माना जाता है। ज्योतिषी बता रहे हैं कि इस अंगारक योग का निर्माण इन्हीं पाप और उग्र ग्रह की युति से बना है। यह योग कुछ राशियों के लिए शुभ है तो कुछ के लिए बेहद अशुभ माना जाता है।
ग्रह स्वराशि में होते हैं सर्वाधिक शक्तिशाली
ज्योतिषी बताते हैं कि मंगल मेष राशि के स्वामी ग्रह हैं और जब कोई ग्रह स्वराशि में होता है तो वह अपनी अधिकतम शक्ति का इस्तेमाल कर सकता है। अंगारक योग कुछ राशियों के लिए कुछ मुश्किलें पैदा किये हुए है। यही वजह है कि वृष, सिंह और तुला राशि के जातकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। (Astrology)
कब समाप्त होगा अंगारक योग?
ज्योतिषशास्त्र (Astrology) में अनुसार मंगल ग्रह 10 अगस्त को मेष राशि से निकलकर वृष राशि में गोचर करेंगे। मंगल के वृष राशि में गोचर करने से राहु के साथ इनकी युति ख़त्म हो जाएगी जिससे मेष राशि में 37 साल बाद बना अंगारक योग भी समाप्त हो जाएगा। ऐसे में इन राशियों को कल यानी 10 अगस्त को इस खतरनाक योग से मुक्ति मिल जाएगी।
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