जब बड़े भाई की शादी में सहबाला बनकर अटल जी गोरखपुर पहुंचे !

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गोरखपुर से गहरा नाता था। यहां उनके बड़े भाई की शादी हुई थी। उस शादी में वह सहबाला बनकर आए थे। तब उनकी उम्र महज 16 साल थी। लेकिन भाई की ससुराल से अटल जी का प्रेम तब भी बना रहा जब वह देश के प्रधानमंत्री बन गए। पूरी दुनिया में मशहूर होने के बाद भी वह अक्सर मंच से गोरखपुर, गोरक्षपीठ और अलीनगर की गलियों में दूल्हे का सहबाला बनकर घूमने की अपनी कहानी का जिक्र कर दिया करते थे।

अलीनगर के मालीटोले में कृष्णा सदन के नाम से मशहूर पंडित मथुरा प्रसाद दीक्षित का घर आज भी अटल जी की स्मृतियों को समेटे हुए है। वर्ष 1940 में मथुरा प्रसाद दीक्षित की पांच बेटियों में से एक रामेश्वरी उर्फ बिट्टन से अटलजी के बड़े भाई प्रेम बिहारी वाजपेयी की शादी हुई थी। अटलजी के गोरखपुर आने का वह पहला मौका था। 1998 के विधानसभा चुनाव में महाराणा प्रताप इंटर कालेज मैदान पर आयोजित सभा में अटल जी ने किशोर मन की उन स्मृतियों को ताजा करते हुए गोरखपुर के बाजारों और गलियों की रौनक का जिक्र किया था।

भाती थी भाई की ससुराल की खीर

बडे़ भाई की ससुराल में अटलजी का आना-जाना लगा रहता था। बताते हैं कि उम्र में छोटे भाई के सालों कैलाश नारायण दीक्षित और सूर्यनारायण दीक्षित से अटलजी की खूब पटती थी। बाद के वर्षों में जैसे-जैसे अटलजी की राजनीतिक व्यस्तता बढ़ती गई वैसे-वैसे यहां आना कम होता गया लेकिन वह जब भी आते ससुराल में उनकी मनपसंद खीर जरूर बनती थी। बताते हैं कि अटलजी अपने पिता की अपेक्षा मां कृष्णा वाजपेयी के ज्यादा करीब थे। मां जब तक जीवित थीं, तब तक वह छुटियां मनाने अपने घर ग्वालियर जाया करते थे। लेकिन मां के निधन के बाद उन्हें जब भी मौका मिलता गोरखपुर आ जाते। यहां बड़े भाई की सास फूलमती उनका खास ख्याल रखती थीं।

‘ससुराल मेरी है, घूम तुम आते हो’

एडवोकेट सुरेश दीक्षित बताते हैं कि अटलजी के गोरखपुर आने-जाने को लेकर कभी-कभी उनके बड़े भाई प्रेम बिहारी वाजपेयी जी मजाक में कह भी देते थे, ‘गोरखपुर ससुराल मेरी है, घूम तुम आते हो।’ इस पर अटल जी कोई अच्छा सा जवाब देकर उन्हें लाजवाब कर दिया करते थे।

‘हम पहुंचे हुए हैं, पहुंच जाएंगे’

अटलजी साल 1994 में अलीनगर के कृष्णा सदन में स्व.मथुरा प्रसाद दीक्षित के भाई के ब्रह्मभोज में आए थे। एडवोकेट सुरेश दीक्षित बताते हैं कि तब तक वह देश के बड़े नेता बन चुके थे लेकिन सादगी पहले जैसी ही थी। घर पर बिल्कुल अकेले बिना किसी तामझाम के पहुंचे थे। रात में अटलजी जाने लगे तो सुरेश दीक्षित ने कहा, ‘चलिए आपको पहुंचा देते हैं।’ इस पर मुस्कुराते हुए अटल जी ने कहा, ‘हम पहुंचे हुए हैं, पहुंच जाएंगे।’

तस्वीरों में कैद हैं किस्से

अटलजी के ऐसे कई किस्से एडवोकेट सुरेश दीक्षित के मन और उनके पास मौजूद तस्वीरों कैद हैं। कृ़ष्णा सदन के ड्राइंगरूम में मथुरा प्रसाद दीक्षित के साथ अटलजी की तस्वीर टंगी है। बताते हैं कि यह तस्वीर 1972 की है।

सुरेश दो साल पहले मिले थे अटलजी से

एडवोकेट सुरेश दीक्षित बताते हैं कि वह दो साल पहले दिल्ली में अटलजी से मिले थे। वह बहुत बीमार थे। सिर्फ आंख के इशारों से यह जता देते थे कि पहचान रहे हैं। बाद में पता चला कि स्थिति और खराब होती चली जा रही है।

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