अयोध्या केस- ‘बाबर ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई और मुस्लिम वहां नमाज पढ़ने लगें’

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उत्तर प्रदेश ।। अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में 40वें दिन की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को शुरू हो गयी. आइये जानते हैं कोर्ट में सुनवाई के दौरान कौन पक्ष क्या दे रहा है दलील…

  • निर्मोही अखाड़ा ने कहा अखाड़ा परिषद का कब्जा है जन्मभूमि पर और वह सेवादार है. निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि हम सेवादार हैं और हमारा दावा बनता है. हम 1934 से जन्मस्थान पर सेवा कर रहे हैं.

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  • निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि मंदिर के तौर पर इस भूमि का लंबे समय से प्रयोग हो रहा है और मुस्लिम पक्ष यह तक नहीं साबित कर सका कि बाबर ने ही मस्जिद बनवाई थी. निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि कोई संदेह नहीं कि यह देव स्थल है.
  • निर्मोही अखाड़ा ने कहा- अयोध्या आने के बाबर के कोई सबूत नहीं हैं. उनके द्वारा दिखाया गया दस्तावेज़ एक राजस्व अनुदान था और वह बाबरी मस्जिद से संबंधित नहीं था.
  • अखाड़ा परिषद के वकील सुशील जैन ने दलील देनी शुरू की. सुशील जैन ने कहा कि बाबर ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई और मुस्लिम वहां नमाज पढ़ने लगें
  • CJI ने विकास सिंह से कहा कि आपका समय पूरा हो चुका है. विकास सिंह ने कहा कि उनको थोड़ा समय और चाहिए. CJI ने कहा कि हम सभी को नहीं सुन सकते.
  • विकास सिंह ने कहा हिंदू वहां पर बिना किसी रोक टोक के पूजा करते थे. वह हमेशा हिंदुओं की आस्था और पूजा का स्थान रहा है. तिरुपति में मूर्ति को छूने की इजाज़त नहीं है.
  • सीजेआई ने धवन पर नाराजगी जताई. कहा- कोर्ट रूम में आप इस तरह की रोक-टोक करेंगे तो सुनना मुश्किल होगा.
  • विकास सिंह ने एक नक़्शा कोर्ट को दिखाया और कहा कि इस नक़्शे में भगवान राम के जन्म स्थान की सही जानकारी है, जो अभी तक किसी ने कोर्ट के सामने पेश नही किया है.धवन ने इसका विरोध करते कहा कि यह बेकार की बातें है इसको कोर्ट को नहीं मानना चाहिए.CJI ने कहा अगर आप इसको नहीं मानते तो कोई बात नहीं.कोर्ट ने कहा कि विकास सिंह भी सिर्फ बयान दे रहे हैं धवन.राजीव धवन ने विकास सिंह से तरफ से दिया गया एक नक़्शा कोर्ट रूम में फाड़ा.
  • विकास सिंह के सबमिशन (दस्तावेज़) पर राजीव धवन ने आपत्ति जताई और कहा कि सुप्रीम कोर्ट को नए दस्तावेज को नहीं स्वीकार करना चाहिए.
  • विकास सिंह ने कहा कि यह दस्तावेज पहले भी कोर्ट के सामने आ चुके हैं. धवन ने कहा कि आप बताइए कि कब कोर्ट के सामने यह दस्तावेज आया.
  • हिंदू महासभा की ओर से विकास सिंह ने शुरू की दलीलें
  • बाबा अभिराम दास के वकील जय दीप गुप्ता ने कहा कि सेवादार को ही वहां पर पूजा का अधिकार है और बाबा अभिराम दास ही असली सेवादार हैं.
  • बाबा अभिराम दास जिनकी मौत हो चुकी है यानी धर्मदास की ओर से पेश वकील जयदीप गुप्ता ने दलील देना शुरू किया.
  • रंजीत ने कहा कि कैलाश पर्वत में शिव की मूर्ति या किसी देवता का चिन्ह नहीं है, लेकिन पूरे पर्वत को देवता के तौर पर पूजा जाता है. हिंदुओं में कण-कण में भगवान की मान्यता है.
  • वैधनाथन ने अपनी दलील पूरी की. अब गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत कुमार दे रहे दलील. गोपाल सिंह विदशरद का सूट नम्बर 1 है.
  • वैद्यनाथन ने कहा कि वक़्फ़ सिर्फ दावा कर रहा है, उनको दस्तवेज़ दिखाना चाहिए. उनकी तरफ से माना गया कि हिंदू वहां पूजा कर रहे थे और हिंदुओं को वहां से हटाने की कोशिश की गई.
  • वैद्यनाथन ने कहा कि अयोध्या में कई और मस्जिद हैं जिनमें रोजाना नमाज पढ़ी जाती है, लेकिन बाबरी मस्जिद के ध्वस्त होने से कई दशक पहले नमाज पढ़ने का दावा किया जा रहा है जिसका कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है.
  • वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद के प्रयोग को लेकर वक्फ बाई यूजर की ओर से दावा तब नहीं किया जा सकता जब तक वास्तविक मालिकाना ना साबित किया जाए और वह विशेष तौर पर सिर्फ मस्जिद के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है.
  • वैद्यनाथन को फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने टोंका. कहा- आप तय समय से ज्यादा बोल रहे हैं. वैद्यनाथन ने कहा कि मैंने 10.45 बजे सुबह बोलना शुरू किया था. इस पर सीजेआई ने कहा धवन का सुझाव सही है, आपका समय खत्म हुआ अब. वैद्यनाथन ने कहा मैं अपनी दलीलें जल्द पूरी कर लूंगा.
  • वैद्यनाथन ने कहा कि वे कहते हैं कि हमने उन्हें खदेड़ने की कोशिश की. अगर हम जन्मस्थान पर विश्वास नहीं करेंगे तो फिर हम कहां और क्यों विश्वास करेंगे? हमारा कब्जा केवल हमारे दावे को पुष्ट करता है.
  • वैद्यनाथन- अनुवाद के संबंध में 8 वर्षों से कोई विवाद नहीं उठाया गया था. मुसलमानों को अपना मामला पेश करने का पर्याप्त अवसर दिया गया, लेकिन अब वे एक मुद्दा उठाते हैं जो उचित नहीं है.
  • वैद्यनाथन- मालिकाना हक को स्वतंत्र रूप से सिद्ध किया जाना है और संयुक्त होने के साथ ही कब्जा अलग है. कुछ सबूत हैं कि मुस्लिम पक्ष ने 1857 से 1934 तक विवादित स्थल पर शुक्रवार की नमाज अदा की. हालांकि इस पर कोई सबूत नहीं मिला कि उन्होंने कोई प्रार्थना की, जबकि हिंदू पक्ष ने पूजा करना जारी रखा.
  • वैद्यनाथन- कब्जे का दावा करने से पहले उस पर यह साफ होना चाहिए कि क्या कब्जा कानूनी है और क्या यह प्रतिकूल है. लेकिन मुस्लिम पक्षकारों की विवादित जमीन के कब्जे को लेकर दी दलीलें स्पष्ट नहीं हैं. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि विचाराधीन भूमि का निर्माण सम्राट बाबर द्वारा किया गया था और यह वक्फ को समर्पित है. इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह खाली भूमि पर बनाई गयी.
  • वैद्यनाथन ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सूट 4 हिंदुओं के रामजन्म भूमि पर कब्जे के खिलाफ दाखिल किया. जबकि वह हाईकोर्ट में भी अपना दावा साबित नहीं कर सके. उनका हक नहीं बनता.
  • वैद्यनाथन ने कहा कि कब्जा हिंदुओं के पास है. मुस्लिम कब्जा साबित नहीं कर सके. संयुक्त प्रयोग मस्जिद के लिए वर्जित है. किसी अन्य धर्म के साथ मस्जिद का बंटवारा नहीं किया जा सकता. अगर बाबर ने मस्जिद बनवाई तो यह भी मुस्लिम पक्ष साबित नहीं कर सका.
  • सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के अपील वापस लेने के मामले में कोर्ट में कोई चर्चा नहीं हुई. रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें शुरू की.
  • सुनवाई की शुरुआत में कुछ वकीलों ने बोलना चाहा तो सुनवाई में सभी तरह की दखलंदाज़ी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. सुन्नी वक्फ बोर्ड का हलफनामा फिलहाल मध्यस्थता समिति की ओर से कोर्ट को नहीं सौंपा गया.

 

साभार- tv9bharatvarsh

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