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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी आंतरिक संगठनात्मक संरचना को नई धार देने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है। पार्टी ने पांच प्रमुख राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों के नाम तय कर दिए हैं और यह कवायद सिर्फ राज्य इकाइयों को मजबूत करने तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व में संभावित बदलाव का संकेत भी देती है।

राज्य स्तर पर नई कमान, केंद्र के लिए संकेत
बीजेपी के संगठनात्मक चुनावों का यह दौर सामान्य प्रक्रिया भर नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जमावट है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश इकाइयों में नई नियुक्तियों के साथ ही पार्टी नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को अंतिम रूप देने की ओर बढ़ रहा है। आमतौर पर बीजेपी में परंपरा रही है कि राज्यों में संगठन को स्थिरता देने के बाद ही केंद्रीय नेतृत्व को लेकर फैसला लिया जाता है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि जुलाई के पहले सप्ताह में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम को लेकर भी हलचल तेज हो सकती है।

महाराष्ट्र में रविंद्र चव्हाण को दी गई स्थायी जिम्मेदारी
महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले रविंद्र चव्हाण को अब पार्टी की राज्य इकाई की पूरी कमान सौंपने का फैसला लिया गया है। अब तक वर्किंग प्रेसिडेंट की भूमिका में रहे चव्हाण का नामांकन हो चुका है और वे जल्द ही पूर्णकालिक अध्यक्ष बन जाएंगे। इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है।

तेलंगाना में नए चेहरे से संगठन को ऊर्जा देने की तैयारी
तेलंगाना में एन रामचंद्र राव का नाम लगभग तय हो चुका है, क्योंकि उनके खिलाफ कोई अन्य नामांकन नहीं हुआ। पार्टी यहां बीते विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने में लगी है। रामचंद्र राव को अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला एक ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य में नेतृत्व को लेकर कई नामों की चर्चा हो रही थी, जिनमें सांसद बंडी संजय कुमार, ईटेला राजेंदर और धर्मापुरी अरविंद शामिल थे।

अन्य राज्यों में भी तेज हुई प्रक्रिया
हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश में भी पार्टी संगठन में बदलाव की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। उत्तराखंड में महेंद्र भट्ट ने नामांकन दाखिल किया है, वहीं हिमाचल और आंध्र में भी प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। यदि इन सभी राज्यों में निर्विरोध नामांकन होते हैं, तो एक जुलाई को नए अध्यक्षों की घोषणा की जाएगी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का आधार बना रही है ये कवायद
इन नियुक्तियों के बाद बीजेपी 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अपने प्रदेश अध्यक्षों की तैनाती पूरी कर लेगी। पार्टी की यह संगठनात्मक मजबूती एक ओर जहां आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए रणनीतिक दृष्टि से अहम है, वहीं दूसरी ओर यह राष्ट्रीय नेतृत्व के चयन का आधार भी तैयार कर रही है।

नए अध्यक्ष से पार्टी को क्या मिलेगा?
प्रदेशों में नेतृत्व परिवर्तन के ज़रिए बीजेपी एक ताजगी और ऊर्जा का संचार करना चाहती है। यह कदम संकेत देता है कि पार्टी जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक एक नई संरचना में खुद को ढालने की तैयारी में है।

 

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