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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड में खेती करने वाले किसानों के लिए इस हफ्ते एक नई उम्मीद लेकर आया "सेब महोत्सव 2.0"। इस दो दिवसीय आयोजन की शुरुआत गुरुवार को सहस्त्रधारा स्थित नाबार्ड कार्यालय में की गई, जहां कृषि मंत्री गणेश जोशी ने उद्घाटन किया। इस महोत्सव का उद्देश्य सिर्फ एक फल का उत्सव मनाना नहीं, बल्कि किसानों के आत्मविश्वास और नए कृषि मॉडल्स को दिखाना भी है।
नाबार्ड की पहल से किसानों को सीधा फायदा
महोत्सव के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों ने अपने उत्पादों के स्टॉल लगाए, जिन्हें कृषि मंत्री ने खुद जाकर देखा और किसानों से सीधी बातचीत की। इस मौके पर उन्होंने बताया कि नाबार्ड ने अब तक 138 किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को कुल 20 करोड़ रुपये की सहायता दी है, जिससे किसानों की आय और आत्मनिर्भरता दोनों में सुधार आया है।
खेती का बदलेगा चेहरा, बागवानी और जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा
राज्य सरकार अब खेती को पारंपरिक तरीके से हटाकर बागवानी, औषधीय पौधों, मशरूम, डेयरी और मधुमक्खी पालन जैसे क्षेत्रों में ले जाना चाहती है। इसके लिए नाबार्ड की सहायता से 4163 एकड़ भूमि पर सेब, कीवी, अखरोट, आम और अमरूद जैसे फलों के बाग तैयार किए जा चुके हैं।
20 इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स: एक नई दिशा की ओर कदम
नाबार्ड ने खेती को आधुनिक और लाभकारी बनाने के लिए 20 नवाचार पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं। इनमें शामिल हैं – एक्वापोनिक्स, मोरिंगा आधारित फार्मिंग, फार्म टूरिज्म, प्राकृतिक खेती और जीरो एनर्जी कूल चैंबर। इन सभी का मकसद है – पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए किसानों की आमदनी बढ़ाना।
हरिद्वार में डिजिटल जैविक खेत, मिल रही नई पहचान
हरिद्वार जिले में नाबार्ड ने 500 किसानों के साथ मिलकर जैविक खेती को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा है। यह पहल किसानों को वैश्विक बाजारों से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
उत्तराखंड के 27 उत्पादों को मिला GI टैग, पहचान को मिली उड़ान
कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य के कुल 27 उत्पादों को अब तक GI टैग मिल चुका है, जिनमें से 6 टैग नाबार्ड की कोशिशों से और 10 टैग नाबार्ड द्वारा सहायता प्राप्त FPOs को मिले हैं। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा क्योंकि इससे उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अलग पहचान मिलेगी।