नई दिल्ली, 28 जुलाई। राफेल विमान अब भारत से चंद घंटों की दूरी पर हैं। पहली खेप में पांच राफेल लड़ाकू विमान बुधवार सुबह भारत पहुंचेंगे। सोमवार को सभी पांच विमान फ्रांस से रवाना हुए और सात घंटे का सफर करके रात को यूएई में सुरक्षित लैंडिंग की। रात भर संयुक्त अरब अमीरात में अबू धाबी के पास अल धफरा में फ्रांसीसी एयरबेस पर ठहरने के बाद बुधवार को सुबह भारत पहुंचेंगे।
अंबाला एयरबेस भी अब राफेल के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त कर लिए गए हैं। इसी के मद्देनजर एयरबेस के आसपास 3 किलोमीटर के दायरे को ‘नो ड्रोन जोन’ घोषित कर दिया गया है। इस फ्रांसीसी युद्धक विमान को वायुसेना के बेड़े में शामिल करने का औपचारिक समारोह 20 अगस्त को होगा।
फ्रांस से यूएई तक कुल 10 घंटे की यात्रा के दौरान पांचों राफेल को रास्ते में दो बार हवा में ही ईंधन दिया जाना था, इसीलिए फ्रांसीसी वायु सेना के दो मिड-एयर रिफ्यूएलर्स फ्रांस से साथ उड़े थे, जिन्होंने यह कार्य पूरा किया और विमानों ने अल धफरा एयरबेस पर सुरक्षित लैंडिंग की। भारतीय वायु सेना ने एक बयान में भारत आ रहे राफेल विमानों का सहयोग करने के लिए फ्रांसीसी वायु सेना की सराहना की है।
एयर फोर्स स्टेशन के आस-पास फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर भी पाबंदी लगाई गई है। एयरफोर्स और अंबाला जिला प्रशासन ने एयरबेस के 3 किलोमीटर के दायरे को ‘नो ड्रोन जोन’ घोषित कर दिया है। अंबाला छावनी के डीएसपी राम कुमार ने कहा कि ‘नो ड्रोन जोन’ का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यहां से पाकिस्तान की सीमा लगभग 300 किलोमीटर दूर है, जिसके चलते अंबाला एयरबेस में भी राफेल को लेकर पुख्ता बंदोबस्त कर लिये गए हैं।
भारत आ रहे पांच राफेल में से सिंगल सीट वाले दो विमान प्रशिक्षण के लिए हैं और तीन ट्विन सीट वाले आपरेशनल होंगे, जिनकी पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तैनाती किये जाने की योजना है। सभी 36 विमानों की डिलीवरी 2021 तक पूरी हो सकती है। पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा का कहना है कि राफेल भारतीय वायुसेना के लिए एक युद्ध विजेता और चीन के साथ सैन्य तनाव के समय एक विशाल मनोबल बढ़ाने वाला होगा।उन्होंने यह भी कहा कि वायुसेना को और अधिक राफेल फाइटर जेट्स लेने चाहिए, क्योंकि 36 जेट्स का ऑर्डर पर्याप्त नहीं था।