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नई दिल्ली। मंदी को सिरे से नकारने वाली केंद्र की बीजेपी सरकार को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि सुस्‍ती के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को एक और बड़ा झटका लगा है। दरअसल, चालू वित्तीय वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही में देश की विकास दर 4.5 फीसदी पहुंच गई है। यह गिरावट करीब 6 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट बताई जा रही है।

इससे पहले मार्च 2013 तिमाही में देश की GDP दर इस स्‍तर पर थी। बता दें कि चालू वित्तीय वर्ष (2019-20) की पहली तिमाही में GDP की दर 5 फीसदी पर थी। इस लिहाज से सिर्फ 3 महीने के भीतर GDP की दर में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।

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माह सितंबर में लगातार छठी तिमाही में GDP के आंकड़ों में गिरावट दर्ज की गयी है। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2019 की पहली तिमाही में ग्रोथ रेट 8 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी पर थी। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2020 की पहली तिमाही में GDP गिरकर 5 फीसदी पर आ गई।

इसी बीच, कोर इंडस्‍ट्री के भी आंकड़े जारी कर दिये गये हैं। सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार एक वर्ष पहले के मुकाबले कोर सेक्‍टर में 5.8 फीसदी की कमी आई है। बता दें कि कोर सेक्‍टर के 8 प्रमुख उद्योग में कोयला, क्रूड, ऑयल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी आते हैं।

GDP के आंकड़ों का आम लोगों के जन-जीवन पर भी असर पड़ता है। GDP के आंकड़ों में गिरावट की वजह से जहाँ औसत आय कम हो जाती है और लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं वहीँ नई नौकरियां पैदा होने की रफ्तार भी सुस्‍त पड़ जाती है। लोगों का बचत और निवेश भी कम हो जाता है। इन हालातों में लोग खरीदारी कम कर देते हैं तो कंपनियां प्रोडक्‍शन घटा देती हैं। प्रोडक्‍शन घटने की वजह से छंटनी की आशंका बढ़ जाती है।

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