देहरादून॥ उत्तराखंड राज्य ना सिर्फ अपनी खूबसूरती प्रसिद्ध है ब्लकि ये अपनी वीरता के लिए भी लोकप्रिय है। उत्तराखंड का एक ऐसा ही महान वीर था जसवंत सिंह रावत। हिंदुस्तान और चीन के बीच 1962 की लड़ाई में वीर जसवंत सिंह रावत ने चीनी आर्मी को नाको चने चबवा दिया था।
उन्होंने अकेले ही 72 घंटो तक चीनी आर्मी के 300 जवानों को मौत के घाट उतारा दिया। जानकार कहते हैं कि जसवंत सिंह एक की वीरता का लोहा चीनी सेना ने भी माना था। उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए देश और पूरा हिंदुस्तान हमेशा उन्हें याद रखेगा। आइए जानते हैं कि कैसे जसवंत सिंह ने 3 दिन तक चीनी सेना की नाक में दम करके रखा।
वीर जसवंत सिंह रावत का जन्म 19 अगस्त 1941 को उत्तराखंड राज्य के ग्राम-बाड्यूं ,पट्टी-खाटली,ब्लाक-बीरोखाल, जिला-पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। आपको बता दें कि जिस समय जसवंत सिंह सेना में भर्ती होने गए थे उस समय उनकी उम्र सिर्फ 17 वर्ष थी। जिस कारण उन्हें आर्मी में जाने से रोक दिया गया था। इसके बाद फिर उनकी उम्र होने पर ही उन्हें आर्मी में भर्ती किया गया। वह 1962 की लड़ाई में चीनी सेना के विरूद्ध युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
वीर जसवंत सिंह ने अकेले ही 72 घंटो तक लड़ते हुए चीनी सेना के 300 जवानों को मौत के घाट उतार दिया और किसी को भी आगे नहीं बढऩे दिया गया। वीर जसवंत सिंह जितने बहादुर थे उतने ही वह चालाक भी थे। उन्होंने अपनी चतुराई और बहादुरी के बल पर चीनी आर्मी को 3 घंटों तक रोके रखा। इसके लिए उन्होंने पोस्ट की भिन्न-भिन्न स्थानों पर रायफल तैनात कर दी थी और कुछ इस तरह से गोलीबारी कर रहे थे जिससे की चीन की आर्मी को लगा यहां एक अकेला जवान नहीं बल्कि पूरी की पूरी बटालियन मौजूद हैं।