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Up kiran,Digital Desk : अगर आप आज पंजाब में बस से कहीं जाने का प्लान बना रहे हैं, तो रुक जाइए। प्रदेश भर में हाहाकार मचा हुआ है। पनबस (PUNBUS) और पीआरटीसी (PRTC) के कच्चे कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल से चक्का जाम कर दिया है। बस स्टैंड्स पर सन्नाटा है और यात्रियों के चेहरे पर परेशानी साफ दिख रही है।

रात के अंधेरे में पुलिस एक्शन और हड़ताल की चिंगारी

मामला गुरुवार रात को ही गरमा गया था। हुआ यूं कि सरकार रोडवेज में 'किलोमीटर स्कीम' (Kilometer Scheme) लाने की तैयारी कर रही थी और आज इसके टेंडर खुलने थे। यूनियन इसके खिलाफ थी। लेकिन सरकार ने बात करने के बजाय बीती रात 3-4 बजे पुलिस भेजकर यूनियन के बड़े नेताओं को उनके घरों से उठवा लिया।

बस फिर क्या था! जैसे ही कर्मचारियों को पता चला कि उनके नेताओं को गिरफ्तार या नजरबंद कर दिया गया है, वे भड़क गए। जालंधर, अमृतसर, फिरोजपुर समेत पूरे पंजाब में शुक्रवार सुबह बसें खड़ी कर दी गईं।

पटियाला में बिगड़े हालात: लाठीचार्ज और हंगामा

पटियाला में नजारा युद्ध के मैदान जैसा बन गया। यहां कर्मचारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज कर दिया। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने इसका वीडियो शेयर करते हुए भगवंत मान सरकार को जमकर घेरा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस की धक्का-मुक्की में सिख कर्मचारियों की पगड़ी की बेअदबी हुई है, जो बेहद शर्मनाक है। बादल ने कहा कि 'बदलाव' के नाम पर आई आम आदमी पार्टी की सरकार वादे पूरे करने के बजाय डंडे बरसा रही है।

बठिंडा में 'शोले' जैसा ड्रामा: पानी की टंकी पर चढ़े कर्मचारी

बठिंडा में तो हद ही हो गई। अपने नेताओं की गिरफ्तारी से गुस्साए कर्मचारी पेट्रोल की बोतलें लेकर पानी की टंकी पर चढ़ गए। पुलिस और प्रशासन नीचे से उन्हें उतरने की मिन्नतें करता रहा, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं। उनकी साफ़ चेतावनी है— "जब तक हमारे नेता रिहा नहीं होंगे और ये किलोमीटर स्कीम रद्द नहीं होगी, हम नीचे नहीं आएंगे।"

यात्री परेशान: "अब घर कैसे जाएं?"

इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी का हो रहा है। पठानकोट, जालंधर और मोगा बस स्टैंड के बाहर यात्रियों की भीड़ है। सुबह-सुबह नौकरी पर जाने वाले और दूसरे शहरों के यात्री परेशान घूम रहे हैं। पठानकोट से जम्मू और चंडीगढ़ जाने वाली बस सेवा पूरी तरह ठप है।

आखिर ये 'किलोमीटर स्कीम' है क्या?

कर्मचारी इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? दरअसल, इस स्कीम के तहत सरकार प्राइवेट बसों को सरकारी रूटों पर चलवाना चाहती है। कर्मचारियों का कहना है कि यह विभाग को धीरे-धीरे प्राइवेट करने की चाल है। उनका मानना है कि जिस सरकार को रोडवेज कर्मियों ने इतना सपोर्ट किया था, आज वही उनकी रोजी-रोटी पर लात मार रही है