आचार्य चाणक्य (Chanakya) ने खुशहाल जिंदगी के लिए कुछ मूल मंत्र दिए हैं। इन विचारों व नियमों को जिसने भी लाइफ में उतारा वो आनन्दमय जिंदगी जी रहा है। यदि आप भी सुखमय जीवन की डोर से बंधना चाहते हैं तो इन विचारों को जीवन में लाजिमी उतारिए। आचार्य चाणक्य (Chanakya) के इन विचारों में से एक विचार का आज हम विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दुष्ट पुत्र पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि जैसे एक सूखा पेड़ आग लगने पे पूरे जंगल को जला देता है। उसी प्रकार एक दुष्ट पुत्र पूरे परिवार को खत्म कर देता है। आचार्य चाणक्य (Chanakya) के इस कथन का अर्थ है कि सूखे पेड़ में जल्दी आग पकड़ती है। यदि ये पेड़ किसी कारण आग की चपेट में आ जाए तो चुटकियों में पूरे जंगल को जला देता है। ठीक इसी प्रकार अगर किसी परिवार का एक बेटा दुष्ट निकल जाए तो वो पूरा परिवार खत्म करने की ताकत रखता है।
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मां-बाप अपने बच्चों को समान संस्कार देते हैं। अपने बच्चों में वो किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते। हालांकि प्रकृति के मुताबिक सभी के स्वभाव में अंतर आवश्य होता है। किंतु कई बार ऐसा होता है कि कुछ बच्चे अपने संस्कार भूल कर गलत रास्ता चुन लेते हैं। ये रास्ता उस वक्त तो उन्हें ठीक लगता है किंतु समय के साथ इस रास्ते की खामियां उन्हें नजर आने लगती हैं। उस समय वो अपने कर्मों से इतने आगे निकल चुके होते हैं कि उनकी गलतियों का प्रभाव उनके परिवार पर भी पड़ने लगता है। (Chanakya)
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