चीन इस बार सीमा पर अपनी ही चालों में फंसा, भारतीय जवानों ने की थी ये तैयारी

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नई दिल्ली, 13 सितम्बर । चुशुल में शनिवार को 5वीं बार भारत और चीन के बीच ब्रिगेड-कमांडर स्तर की वार्ता हुई। यह बैठक भी उम्मीदों के मुताबिक नाकाम रही। दोनों पक्षों के बीच अगले कुछ दिनों में फिर कोर कमांडर-स्तरीय छठी बैठक होने की उम्मीद है। इस बार चीन अपनी ही चालों में फंसा है।

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भारत ने पहले ही पैंगोंग के दक्षिण में अहम रणनीतिक चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया है जिससे चीन बौखलाया हुआ है। मई के शुरुआती दिनों से ही लद्दाख में टकराव की स्थिति बनी हुई है लेकिन हाल के दिनों में चीन की ओर से की गई घुसपैठ की कोशिशों के बाद तनाव और बढ़ गया है।

लद्दाख सीमा पर चार माह से चल रहे विवाद को निपटाने के लिए शनिवार को चुशुल में ब्रिगेड-कमांडर स्तर की वार्ता हुई। ब्रिगेड-कमांडर स्तर की वार्ता सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक चली। 5वें दौर की यह वार्ता भी अनिर्णायक रही। मॉस्को में भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों और इसके बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हाल ही में हुई बैठक के बाद यह ब्रिगेड कमांडर-स्तरीय पहली वार्ता थी।

अगले कुछ दिनों में छठी बैठक ब्रिगेड-कमांडर के बीच नहीं बल्कि दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच होगी। अगस्त से भारत की ओर से सेना की 14वीं कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की तरफ से दक्षिण शिनजियांग के सैन्य जिला प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच बैठक नहीं हुई है।

चीन अपनी ही चालों में फंसा

ब्रिगेड कमांडरों स्तर की यह बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लद्दाख संकट पर शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक किये जाने के एक दिन बाद आयोजित की गई। रक्षा मंत्री को मॉस्को में भारत और चीन के बीच हुए पांच सूत्रीय समझौते पर विचार-विमर्श करने के लिए भारत के शीर्ष सैन्य की ओर से शामिल किया गया था।

इस बैठक में​ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत, तीनों सेनाध्यक्ष और रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार भी शामिल हुए थे। इसके बाद सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बारे में रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति को जानकारी दी। संसदीय समिति से जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत किसी भी तरह की परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार है।

अभी तक के हालात देखकर कहा जा सकता है कि चीन एक ओर बातचीत का दिखावा कर रहा है तो दूसरी ओर सीमा पर सैन्य जमावड़ा भी बढ़ाता जा रहा है। चीन लगातार भारत की कमजोरी को टटोलने की कोशिश करता है और कमजोरी नजर आने पर चीन आगे बढ़कर जमीन हथियाने की साजिश रचता है लेकिन इस बार चीन अपनी ही चालों में फंसा है। भारत ने पहले ही पैंगोंग के दक्षिण में अहम रणनीतिक चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया है जिससे चीन बौखलाया हुआ है।

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