नई दिल्ली॥ इन दिनों महिला विश्व शतरंज चैंपियनशिप पर पूरे विश्व के शतरंज प्रेमियों की नजर है। इसके पीछे न केवल इस प्रतियोगिता का स्तर बल्कि ईरानी रेफरी शोहराह का बयान है। शोहराह इस मुकाबले में मुख्य मध्यस्थ की रोल अदा कर रही हैं। 32 वर्षीय शोहराह पहली बार किसी सीनियर मुकाबले में अफसर की भूमिका में है।
शंघाई में पहले चरण के मुकाबले के दौरान एक तस्वीर में शोहराह बिना हिजाब के नजर आ रही हैं और यही विवाद की असली वजह है। ईरानी कानून के अनुसार, सभी महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर अपने सिर को हिजाब से ढंकना अनिवार्य है।
ईरानी शतरं’ज फाउंडेश’न ने उन पर माफी मांगने का दबाव डाला है, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया। इस पूरे प्रकरण के बाद बयात ने हिजाब पहनना छोड़ दिया है। उन्हों’ने कहा कि मैंने कभी इसे अपनी मर्जी से नहीं पहना। मैं जो हूं वही रहना चाहती हूं और मैंने इसे नहीं पहनने का फैसला किया है। लोगों को वही पहनना चाहिए जो वे चाहते हैं।
ईरान में महिलाओं का हिजाब न पहनना बड़ा जुर्म माना जाता है, इसमें गिरफ्तारी और पासपोर्ट को अवैध तक घोषित किया जा सकता है। बयान ने कहा कि यदि उन्हें सुरक्षा का आश्वासन नहीं मिलता है तो वह ईरान नहीं जाएंगी। उन्होंने कहा कि ईरा’न में मेरा परिवार है और मैं वहां जरूर लौटना चाहूंगी। लेकिन अगर मुझे सुरक्षा का आश्वासन नहीं मिलता है तो मैं वापस नहीं जाऊंगी।