नई दिल्ली॥ कोविड-19 महामारी के उपचार में प्रयोग की जा रही दवा रेमडेसिवीर की मांग बहुत अधिक है। हालात ऐसे हैं कि दवा की कालाबाजारी तक होने लगी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एक वॉयल के लिए मरीजों को 30,000 से 40,000 रुपए तक चुकाने पड़े। जबकि लोगों को दवा सस्ती मिले, इसीलिए रेमडेसिवीर के जेनेरिक वर्जन को बनाया और बेचा जा रहा है।
यूएसए में इसी दवा की एक डोज लगभग 29 हजार रुपए की पड़ रही है जबकि हिंदुस्तान में कीमत 5,500 रुपये से अधिक नहीं। एक मरीज को पांच दिन तक दवा दी जाती है। अभी इस ड्रग के जेनेरिक वर्जन को हिंदुस्तान की दो कंपनियां बना रही हैं जबकि तीसरी दवा का प्रॉडक्शन भी शुरू हो गया है। बढ़ते कोविड-19 मामलों के बीच पर्याप्त दवा मुहैया करा पाना बड़ी चुनौती होगा। मगर अभी बात कीमत की करते हैं।
इस सूची से पता चलता है कि रेमडेसिवीर के एक पूरे कोर्स की कीमत हिंदुस्तान में 33 हजार रुपए से अधिक नहीं होगी। यानी विकसित या यूं कहें संपन्न देशों के मुकाबले हिंदुस्तान में यह दवा लगभग 5 गुना तक सस्ती है।