कोरोना महामारी के इस दौरान मध्यमवर्गी व गरीब परिवारों में आर्थिक तंगी की भयावह स्थिति बनी हुई है। इस महामारी के दौरान लोगों को अपने परिवार का भरण पोषण की चिंता भी सताने लगी है। हर रोज सब्जियों के दाम लगातार आसमान छूने से गरीब व मध्यमवर्गी लोगों की पीठ पर एक छुरे की तरह वार करती नजर आ रही है। जिसके चलते घरों में लोगों की थालियों से हरी सब्जियां विलुप्त हो रही है।
वही, कोरोना वायरस से पूरे देश में हुए लॉकडाउन के चलते डेली रोजगार वाले लोगों को इन कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में आम जनमानस की थाली से सब्जियां धीरे धीरे गायब हो रही हैं। भोजन की थाली में मध्यमवर्गी घरों में दो से तीन सब्जियां देखने को मिलती थी। लेकिन सब्जियों के आसमान छूते भाव की वजह से यह सब्जियां थालियों से गायब हो चुकी है।
साग सब्जियों के दामों से उन्हें अपने परिवार को दो वक्त की रोटी मुहैया कराना एक कड़ी चुनौती बन गया है। लेकिन ऐसा कहना भी गलत होगा कि गरीबों की थाली से सब्जियों दूर होती जा रही है गरीबों का एकमात्र सहारा आलू हुआ करता है। जो कि आज के दौर में 30 से 40 रुपये के बीच में बिक रहा है। संक्रमण फैलने के दौरान लोगों में अच्छी यूनिटी सिस्टम की जरूरत भी है और हरी सब्जियों जे सेवन ना कर पाने की वजह से वह कोरोना को मात देने में पीछे रह जाते हैं। महंगी सब्जियों के व्यापार ने लोगों की परेशानियों को काफी बढ़ा दिया है।
ज्योति मिश्रा गृहिणी का कहना है कि आलू के दाम लगातार बढ़ रहे है। जिसकी वजह से सामान्य दिनों में घर में सब्जी बनाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं टमाटर भी अपने रंग में महंगाई के द्वारा रंग बढ़ा रहा है। 35 रुपये आलू, 35 रुपये पालक, 60 रुपये टमाटर, 30 रुपये लौकी और परवल 75 रुपये परवल।