
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। कांग्रेस जो पिछले 15 सालों तक दिल्ली की सत्ता में रही, पिछले दो चुनावों में कुछ खास नहीं कर पाई है। लेकिन अब कांग्रेस के नेता 5 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं। आज हम चर्चा करेंगे कि कांग्रेस दिल्ली में किन मुद्दों पर मजबूत है। उसकी कमजोरियों क्या हैं और उसे किन खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
कांग्रेस की कमजोरियां
कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती यह है कि वह 2013 से दिल्ली में सत्ता से बाहर है, जिससे मतदाताओं का विश्वास दोबारा हासिल करना मुश्किल हो सकता है। लगातार हार और एक मजबूत नेता की कमी के कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी हो सकती है, जो चुनावी अभियान को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, पार्टी को गिरते वोट प्रतिशत को रोकने और बढ़ाने की चुनौती भी है।
कांग्रेस की ताकतें
दिल्ली में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के मुकाबले ‘प्यारी दीदी योजना’ पेश की है, जिसके तहत महिलाओं को 2500 रुपये की मासिक सहायता देने का वादा किया गया है। इसके अलावा, पार्टी ने अपने कई प्रमुख नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है, जैसे पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख देवेंद्र यादव, और पूर्व मंत्री हारून यूसुफ। अगर कांग्रेस सही तरीके से चुनाव लड़े, तो उम्मीद की जा रही है कि वह अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकती है।
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