
कोरोना राहत पैकेज के नाम पर मोदी सरकार ने देश के हर क्षेत्र में निजीकरण का रास्ता साफ कर दिया है। इस पैकेज से गरीबों, मजदूरों और मध्यवर्ग को भले ही कोई फायदा हो, लेकिन सरकार ने कुछ खास कार्पोरेट घरानों की तरक्की का सुनहरा रास्ता खोल दिया है। सरकार अब तमाम सरकारी कंपनियों की पहले सरकारी हिस्सेदारी कम करेगी और बाद में उन्हें बेच देगी। अब नए सार्वजनिक उपक्रम नहीं शुरू होंगे। इस तरह सार्वजनिक उपक्रम पूरी तरह ख़त्म हो जाएगा।
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राहत पैकेज का ब्यौरा देते हुए आठ क्षेत्रों-कोयला, खनिज, रक्षा उत्पादन, हवाई क्षेत्र प्रबंधन, हवाई अड्डों, केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा में रणनीतिक सुधारों की घोषणा की। सरकार निजी कंपनियों को छह और हवाई अड्डों की नीलामी भी करना चाहती है। इसके साथ ही सरकार की योजना सार्वजनिक-निजी साझेदारी में अन्य 12 हवाई अड्डों के निर्माण की है ।
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अब सरकार राहत पैकेज़ के नाम पर थर्मल कोल ब्लॉक्स की नीलाम करेगी। अडानी पावर, टाटा पावर, जेएसडब्ल्यू एनर्जी और रिलायंस पावर जैसी निजी कंपनियां इसके लिए बोली लगाएंगी। उन्हें इस्पात कंपनियों के लिए भी कुछ कोकिंग कोल माइंस की नीलामी की उम्मीद है। इसमें 50 खदानों की नीलामी की नीलामी की योजना है।
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केंद्र सरकार की योजना बॉक्साइट और थर्मल कोल माइंस की नीलामी को एक में मिलाने की है, ताकि एल्युमिनियम बनाने वाले एक साथ उनके लिए बोली लगा सकें। इससे हिंडाल्को और वेदांता एल्युमिनियम जैसी कंपनियों को मदद मिलेगी। इसमें पैकेज के हिस्से के रूप में लगभग 500 खनिज खनन ब्लॉक भी शामिल किए जाएंगे।
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इसी तरह मोदी सरकार ने रक्षा उत्पादन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया है। आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कुछ सामरिक क्षेत्रों को नोटिफ़ाई करेगी। इस क्षेत्र में सार्वजनिक कंपनियां बनी रहेंगी और पहले की तरह ही अहम भूमिका निभाती रहेंगी। इस क्षेत्र में भी निजी क्षेत्र को काम करने का मौका मिलेगा अर्थात सरकारी क्षेत्र का एकाधिकार ख़त्म हो जाएगा।
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मोदी सरकार केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है। अडानी और टाटा पावर इस कारोबार के अहम खिलाड़ी हैं। इसी तरह राज्यों में राज्य बिजली उत्पादन निगमों की जगह निजी बिजली कंपनियों को आर्थिक मदद दी जा रही है। ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इसके खिलाफ आंदोलन की धमकी दी है।
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मोदी सरकार के राहत पैकेज के प्रमुख लाभार्थी टाटा पावर, जेएसडब्ल्यू स्टील, जीवीके, हिंडाल्को, जीएमआर, अडानी, रिलायंस ग्रुप, वेदांता और कल्याणी आदि कारपोरेट घराने होंगे। अडानी ग्रुप कोयला, खनिज, रक्षा, बिजली वितरण और हवाई अड्डों जैसे क्षेत्रों में आने वाले नए अवसरों का भरपूर लाभ उठाएगा। इसी तरह वेदांता और आदित्य बिड़ला समूह के हिंडाल्को कोयला व खनिज खनन में परियोजनाओं पर नकद राशि का लाभ ले सकेंगे।
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इस तरह राहत पैकेज के नाम पर सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के विनाश का रास्ता तय कर दिया है। जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र इतिहास हो जाएंगे। श्रम का अवमूल्यन होगा। चंद कारपोरेट घराने देश की दिशा, दृष्टि और दायित्व तय करेंगे।