img

किरेन रिजिजू से केंद्रीय कानून मंत्रालय वापस ले लिया गया है। अब इस मंत्रालय की जिम्मेदारी अर्जुन राम मेघवाल को सौंपी गई है। किरेन रिजिजू को अब  वो विज्ञान मंत्रालय की कमान सौंपी गई है। इस फेरबदल को लेकर  कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।  केंद्र की ओर से इस फेरबदल  को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।  

ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर रिजिजू  से कानून मंत्रालय क्यों छीना गया। आईये अचानक हुए इस फेरबदल के पीछे का कारण जानने की कोशिश करते हैं। पिछले कुछ दिनों से  सरकार और न्यायपालिका के बीच तल्खी देखने को मिली।  ऐसा पहली बार  नहीं हो रहा है।  पहले  भी दोनों कई बार आमने  सामने आ चुके हैं। हालांकि ये लड़ाई अंदर ही अंदर शांत हो जाती थी, मगर  पिछले  कुछ समय से ऐसा नहीं हो पा रहा है।  कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर  किरण  लगातार न्याय पालिका पर सवाल उठा रही थी।  सार्वजनिक तौर पर वो  न्याय पालिका और न्यायधीशों को लेकर तंज कसे रहे थे।  इससे न्यायपालिका और सरकार के बीच दूरियां बढ़ गई हैं।  

सन् 2018 में न्यायपालिका और  सरकार के बीच की लड़ाई सार्वजनिक हो गई।  तब देश में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके  कई सवाल खड़े किए।  तब कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद  दो साल  बाद उन्हें हटाकर किरण रिजिजू को ये जिम्मेदारी  दी गई।   

सरकार नहीं चाहती है कि दो हज़ार 24 तक न्याय पालिका से कोई मतभेद हो।  माना  जा रहा है कि इसी के चलते रिजिजू का मंत्रालय बदला गया है।

आपको बता दें कि निरंतर रिजिजू निरंतर न्यायपालिका पर सवाल उठा रहे थे। वही न्याय पालिका भी इस मसले पर गंभीर थी। बीते कई दिनों में सुप्रीम कोर्ट के कई ऐसे फैसले आए जो एक तरह से  केंद्र  सरकार के खिलाफ थे।  ऐसे में अगर कानून मंत्री और न्याय पालिका के बीच  विवाद  आगे भी जारी  रहता तो आने वाले दिनों में केंद्र को ज्यादा फजीहत का सामना करना पड़ सकता था। अगले साल लोकसभा चुनाव भी हैं।  ऐसे में सरकार कोई रिस्क लेना नहीं चाहती।    

 

--Advertisement--