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लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पूरा यादव कुनबा लग गया है। सपा अध्यक्ष कहीं संभाल रहे हैं मोर्चा तो कहीं चाचा शिवपाल और इसमें यादव परिवार की बहू भी पीछे नहीं। सपा के गढ़ को बचाने या फिर वापस पाने की कोशिशें निरंतर जारी हैं। जिसमें मैनपुरी भी बेहद खास है और मैनपुरी की कमान थाम रखी है डिम्पल यादव ने। वह लगातार यहां के दौरे कर रही हैं। लोगों के दुख सुख में शामिल होने पहुंच रही हैं। 

सोमवार को सपा सांसद डिम्पल गोकलपुर पहुंची, जहां कुछ दिन पहले सामूहिक हत्याकांड हुआ था। ऐसे में डिम्पल इस परिवार के दर्द में शरीक होने पहुंची। उन्होंने मृतक की मां से घटना की जानकारी ली। डिम्पल को घटना के बारे में बताते हुए मां शारदा देवी बिलख पड़ी। ऐसे में डिम्पल यादव भी मानो भावुक हो गई। उनकी भी आंखें नम हो गई। इस दौरान डिम्पल यादव ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी तो शोक संतप्त परिवार को हर संभव मदद का भरोसा भी। वहीं जो लोग इसमें घायल हैं, उनके उपचार का खर्च भी उठाने की बात सपा सांसद ने की।

आपको बता दे कि नेता जी के देहांत के बाद बीते वर्ष दिसंबर में हुए लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद से निरंतर डिंपल यादव अपने संसदीय क्षेत्र में एक्टिव हैं और इन दिनों उनके दौरे और भी ज्यादा बढ़ गए हैं। ऐसे में इसे 2024 की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है ताकि यादव कुनबे की सबसे खास सीट पर नेताजी की सीट पर 2024 में बंपर जीत हासिल की जा सके।

बीजेपी हरहाल में जीतना चाहती है ये सीट

वहीं यहीं की करहल सीट से अखिलेश यादव भी विधायक हैं तो यह लोकसभा सीट सपा की साख का बड़ा सवाल है। क्योंकि बीजेपी भी हर सूरतेहाल में इस सीट को अपने खाते में डालना चाहती है, जिसके लिए वह नेताजी का नाम भी जप रही है।

आपको बता दें कि मैनपुरी सीट पर अब तक सपा आठ बार चुनाव जीत चुकी है। खुद मुलायम सिंह यादव यहां से पांच बार सांसद रहे। नेताजी से यहां के लोगों का हाथीघाट कनेक्शन था। वह खुद लोगों के सुख दुख में शामिल हुआ करते थे।

जानें क्या है सपा की सबसे बड़ी ताकत

नेताजी का लोगों से व्यक्तिगत जुड़ाव ही यहां सपा की सबसे बड़ी ताकत थी, जिसका असर आसपास की यादव कुनबे की बाकी सीटों पर भी माना जाता था और मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में उसकी बदौलत ही नेताजी के ना होने पर उनकी बहू डिम्पल यादव को 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीत मिली थी। ऐसे में अखिलेश यादव और डिम्पल उसी कनेक्शन को बरकरार रखने की कोशिशों में जुटे हुए हैं ताकि उनका बेस यहां मजबूत रहे। 2024 के लिए तो डिम्पल ताबड़तोड़ अपने इलाके में एक्टिव हैं तो अखिलेश कन्नौज समेत बाकी गढ़ों को साधने में लगे हैं। जबकि आजमगढ़ की जिम्मेदारी मिली है चाचा शिवपाल को। 

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