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मेरठ। जहां एक तरफ देश भर में विजयदशमी (Dussehra 2022) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक जगह ऐसी भी है जहां इस पर्व को नहीं मनाया जाता है। इसके पीछे की वजह देश की आजादी की लड़ाई से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि दशहरे के ही दिन अंग्रेजों ने यहां के क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पर लटकता था।

बताया जाता है कि मेरठ के परतापुर क्षेत्र के गगोल गांव में बीते 100 सालों से दशहरे (Dussehra 2022)  का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि 100 साल पहले जब भारत पर अंग्रेजों का राज हुआ करता था तो दशहरे (Dussehra 2022)  के ही दिन यहां के रहने वाले 10 क्रांतिकारियों को अंग्रेजो ने गांव के बाहर स्थित एक पीपल के पेड़ से फांसी पर लटका दिया, तभी से इस गांव के लोगों ने दशहरा ना मनाने का प्रण ले लिया जो कि आज भी कायम है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दशहरे के दिन गांव में कोई हर्षोल्लास का कार्यक्रम नहीं होता है और ना ही रामलीला का मंचन ही किया जाता है।(Dussehra 2022)

नहीं किया जाता खुशी का इजहार

स्थानीय लोगों ने बताया कि दशहरे के दिन पर यहां गम का माहौल रहता है और हर कोई अपने क्रांतिकारी पूर्वजों की मौत का शोक मनाता है। हालांकि इन लोगों का कहना है कि गांव के रहने वाले जिन लोगों के घर दशहरे के दिन बच्चा जन्म ले लेता हैं उनकी आन टूट जाती है और वे भी मरे दिल से इस पर्व को मनाते हैं लेकिन कोई खुशी का इजहार नहीं किया जाता है।(Dussehra 2022)

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