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जलवायु परिवर्तन के चलते भारत ने लू का अनुभव किया है, जो दिन-ब-दिन खतरनाक होता जा रहा है। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, देश का 90 % से ज्यादा हिस्सा और पूरी दिल्ली लू के 'डेंजर जोन' में है।

अध्ययन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा आयोजित किया गया था। रिसर्च में कहा गया है कि गर्मी की लहर UN के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को पहले से कहीं अधिक बाधित कर सकती है।

भूविज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन द्वारा लिखे गए एक लेख के अनुसार, भारत में बीचे पचास सालों में गर्मी की लहरों ने 17,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है। 2021 में प्रकाशित एक पेपर में कहा गया था कि 1971-2019 तक देश में 706 हीट वेव की घटनाएं हुईं। रविवार को नवी मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के पुरस्कार समारोह में लू लगने से 13 लोगों की मौत हो गई, जो देश के इतिहास में लू से संबंधित किसी भी घटना में मरने वालों की सबसे बड़ी संख्या है।

हीट वेव क्या है?

लू की चेतावनी तब जारी की जाती है जब अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय इलाकों में कम से कम 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।

इस महीने की शुरुआत में, भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अप्रैल से जून तक उत्तर पश्चिम और प्रायद्वीपीय इळाकों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य तापमान से ऊपर रहने का अनुमान लगाया था। इस अवधि के दौरान मध्य, पूर्वी और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक हवा चलने की संभावना है। 1901 में रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से भारत ने 2023 में अपने सबसे गर्म फरवरी का अनुभव किया।

 

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