कोरोना आपदा के साथ साथ अब दुनिया पर एक खतरा और मंडराने लगा है। जिसको जानकर वैज्ञानिक भी हैरान परेशान हैं। क्योंकि ये खतरा मानव जाति के विनाश से जुड़ा है। एक शोध में ये बात सामने आई है कि सन 1900 के बाद से 7 या इससे भी अधिक तीव्रता वाले भूकंपों की संख्या बढ़ गई है।
बीसवीं सदी के आखिर के 5 सालों में धरती की घूर्णन गति में थोड़ी कमी आई तो 7 से अधिक के तीव्रता वाले भूकंपों की तादाद बढ़ गई। जिससे मानव जाति खतरे में पड़ सकती है। जानकारी के मुताबिक साइंटिस्टों ने इसके लिए प्रतिवर्ष 25 से 30 तेज भूकंप दर्ज किए। इनमे, 15 बड़े भूकंप माने गए।
साइंटिस्टों ने एक शोध में पाया था कि पृथ्वी पर दिशा की सूचना देने वाला मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल (चुंबकीय उत्तरी ध्रुव) भी अपनी स्थिति बदल रहा है। बीते कुछ दशकों में धरती का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव इतनी तेजी से खिसका है कि पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे हैं। इससे जलमार्ग के माध्यम से होने वाले आवागमन में कई प्रकार की मुसीबतों को देखने को मिल सकता है।
इससे पहले लंदन के साइंटिस्ट अपने रिसर्च में पाया था कि अगर पृथ्वी इसी तरह से घूमने का गतिमान बना रहेगा। तो हवा का रूख 1,670 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने लगेगा। ये तूफानी हवा रास्ते में आने वाली हर चीज को तबाह करती चली जाएगी। इंसान किसी बंदूक की गोली की रफ्तार से एक दूसरे से टकराएंगे।
इसके साथ ही पृथ्वी में चुंबकीय क्षेत्र खत्म हो जाएगा। हर तरह बर्बादी नजर आएगी। उस वक्त का वातावरण एक परमाणु विस्फोट के जैसा ही होगा, जिससे नाभिकीय व अन्य प्रकार के प्राण घातक विकिरण फैल जाएंगे। हालांकि, नासा के साइंटिस्टों ने इसे मानने से मना किया है उनकी मानें तो कई अरब साल तक ऐसी घटना होने की कोई संभावना नहीं है।