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इस साल मानसून सत्र की तारीख तय कर दी गई है। इसी महीने 20 जुलाई से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलेगा। शनिवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मानसून सत्र की जानकारी देते हुए हिंदी और अंग्रेजी में ट्वीट किए। 23 दिनों तक चलने वाले सत्र इस बार कई मायनों में खास होने वाला है। 

लोकसभा और राज्यसभा के सांसद मानसून सत्र के दौरान संसद की नई बिल्डिंग में नजर आ सकते हैं। वहीं दूसरी ओर इस सत्र में मोदी सरकार भी कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित करा सकती है। ‌इसके साथ विपक्ष भी केंद्र सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी में जुट गया है। ‌संसद का मानसून सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है, क्योंकि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रमुख विपक्षी दलों ने नरेंद्र मोदी नीत भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। 

मानसून सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में हो सकती है, लेकिन बीच में इसे नए संसद भवन में स्थानांतरित होने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो ये मानसून सत्र नई संसद के उद्घाटन के बाद से आयोजित होने वाला पहला सत्र होगा। हालांकि अभी इसे लेकर आधिकारिक एलान होना बाकी है। बता दें कि मानसून सत्र में कई अहम बिल पेश हो सकते हैं। इनमें यूसीसी भी शामिल हो सकता है। इस पर पूरे देश की नजर हैं। कुछ दिनों पहले पीएम मोदी ने भोपाल में एक जनसभा के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर वकालत की थी। पूरे देश में यूसीसी को लेकर राजनीति गर्म है। 

बता दें कि संसद की नई इमारत का उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने किया था। इस बार के मानसून सत्र के हंगामेदार रहने की उम्मीद है। क्योंकि विपक्षी दल अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाने के लिए एकजुट हो रहे हैं।

सत्र में सरकार ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश’ की जगह लेने के लिए विधेयक ला सकती है जो सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को विधायी एवं प्रशासनिक नियंत्रण देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले को निष्प्रभावी कर देगा। सरकार विधेयक को जल्द पारित कराने का प्रयास करेगी। राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) विधेयक को भी संसद में पेश किया जा सकता है।

 केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने एनआरएफ की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। मानसून सत्र के दौरान दिल्ली के लिए लाए गए केंद्र सरकार के संशोधन बिल पर भी चर्चा हो सकती है। 

बता दें कि यह बिल सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद लाया गया है, जिसमें दिल्ली में प्रशासन के लिए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अधिकृत किया है। इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी काफी मुखर है और विभिन्न पार्टियों का समर्थन जुटाकर केंद्र पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में संसद के मानसून सत्र के दौरान इस पर खूब हंगामा देखने को मिल सकता है। मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर भी विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार को घेर सकती हैं।

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