इटावा, 21 मार्च। यूपी के इटावा जिले में एक बेटी ने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ बेटे का धर्म निभाकर अपने पिता का अंतिम संस्कार कर एक बडा संदेश दिया है। यह वाकया उसराहार थाना इलाके के सरसईनावर का है, जहां पर रूढ़ियों को तोड़ बेटी ने बेटे का फर्ज निभाया।
पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए बेटी ने पिता की अर्थी को कंधा दिया और मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार करके परंपराओं को आइना दिखाया। भाई न होने पर अन्य बेटियों के समक्ष भी मिसाल पेश की जिसकी इलाके में चर्चा हो रही है।
आपको बता दें कि सरसईनावर के संतशरन कठेरिया का 74 वर्ष की उम्र में बीमारी के चलते सैफई मेडिकल यूनीवसिर्टी में इलाज के दौरान निधन हो गया था। होली का त्योहार होने के कारण इसी दिन उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी चार बेटियां सीता, चित्रा, नीलम और पूनम हैं। जिनमें दो सीता और चित्रा सरकारी शिक्षिका हैं। कोई पुत्र न होने के कारण संतशरन की इच्छा थी कि उनके शव का अंतिम संस्कार उनकी पुत्री ही करें। इसको लेकर परिवार में मतभेद शुरू हो गया था।
शव को कंधा देने और मुखाग्नि को लेकर लोगों ने आपत्ति जताई, लेकिन उनकी छोटी पुत्री पूनम कठेरिया ने इसकी परवाह न करते हुए पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने का जिम्मा उठाया और शव को कंधा ही नहीं दिया बल्कि श्मशान घाट जाकर अंतिम संस्कार की समस्त क्रियाओं को पूरा करते हुए पिता के शव को मुखाग्नि भी दी।
पूनम का कहना है कि उसको सामाजिक रीति-रिवाजों से ज्यादा अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने की चिंता थी। पिता एयरफोर्स में नौकरी करने के बाद सेवानिवृत्त हुए थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। बेटी द्वारा पिता का अंतिम संस्कार किया जाना क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया।
संत शरन कठेरिया ने पूर्व से ही अपने शव का अंतिम संस्कार करने के लिए अपनी सबसे छोटी बेटी पूनम जो अभी अविवाहित हैं को तैयार कर लिया था। उनकी इस अंतिम इच्छा को सामाजिक रीति को लेकर रोका न जाए तो उन्होंने पूर्व में लड़कियों ने अपने परिजनों के शवों को मुखाग्नि देने की घटनाओं से संबंधित समाचार पत्रों को एकत्रित कर रखा था। मुखाग्नि देने वाली बेटी पूनम कठेरिया का कहना है कि वह बीटीसी एमए तक शिक्षित है।
गौरतलब है कि पिता ने मृत्यु पूर्व ही कई समाचार पत्रों की कटिंग दे दी थी, ताकि समाज उसको रोक न सके और उनकी अंतिम इच्छा पूरी हो सके। इसके साथ ही पूनम का कहना है कि पिता की मृत्यु का जितना अधिक दुख है वहीं उनकी इच्छा पूरी करने की उन्हें खुशी भी है।